यहाँ वायरस से हुए नीले अंडे – मज़े से खाने लगे ये लोग और फिर जो हुआ….

आज तक आपने सफेद रंग या देसी अंडे भूरे रंग के ही देखे और खाये भी होंगे, पर अगर आपको कोई बताये कि काले और नीले रंग के भी अंडे होते है। और तो और इन काले रंग के अंडों को सेहत का खजाना माना जाता है। वहीं कड़कनाथ मुर्गे के ये अंडे काले रंग के होते हैं। हालांकि ये काफी दुर्लभ होते हैं इसलिए ये काफी महंगे मिलते हैं। पर क्या आपने कभी नीले रंग के अंडे देखे हैं। अब आप सोच रहे होंगे, भला ये अंडे कहां मिलते हैं और कौन इन्हें कौन खाता होगा। दरअसल ये खास रंग के अंडे Araucana नामक जीव देती है। ये अंडा चिली देश में पाया जाता है। माना जाता है कि वायरस (Virus) के हमलों के कारण इनके अंडे का रंग नीला होता है। यहां सबसे पहले इस मुर्गी को साल 1914 में देखा गया था। इसे स्पेन के पक्षी वैज्ञानिक Salvador Castell ने देखा था।
वैज्ञानिकों के अनुसार ये घरेलू चिकन की ही एक किस्म है। रेट्रोवायरस की वजह से अंडों का बदल जाता है रंग वैज्ञानिकों के अनुसार रेट्रोवायरस के हमले की वजह से अंडों का (Blue Eggs) रंग नीला होता है। ये वे वायरस हैं जो सिंगल RNA होते हैं। ये मुर्गियों में प्रवेश कर उनके जीनोम की संरचना को बदल देते हैं। इन रेट्रोवायरस को EAV-HP कहते हैं। जींस की संरचना में बदलाव के कारण चिकन के अंडों का रंग बदल जाता है। हालांकि वायरस के बावजूद ये खाने में बिल्कुल सुरक्षित होते हैं। क्योंकि ये महज अंडों की बाहरी संरचना को प्रभावित करते हैं। यूरोपियन (Europe) देशों और (America) अमेरिका में ये चिकन और इसके अंडे काफी चाव से खाए जाते हैं।

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