दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच सत्ता की जंग हमेशा से दिलचस्प रही है। 2013, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में यह देखा गया कि कांग्रेस के उम्मीदवार AAP के वोटों में कटौती कर देते थे, जिससे बीजेपी को फायदा हो सकता था। खासकर 2013 के चुनावों में, जब कांग्रेस की उपस्थिति थी, तो कई सीटों पर AAP को नुकसान हुआ, और बीजेपी को फायदा मिला।
. 2013 के चुनाव
AAP ने अपनी पहली विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन कांग्रेस की उपस्थिति ने कुछ सीटों पर AAP को हराने में मदद की। इस चुनाव में कांग्रेस की उपस्थिति ने AAP के लिए चुनौतियां पैदा कीं, क्योंकि कई सीटों पर कांग्रेस ने AAP को वोट काटे और बीजेपी को उस फायदें में बढ़त मिली।
. 2015 के चुनाव
इस चुनाव में कांग्रेस को एक तरह से चुनावी मैदान से बाहर ही कर दिया गया था, और AAP ने शानदार जीत हासिल की। कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन AAP को फायदा पहुंचाने में सफल रहा।
. 2020 के चुनाव
2020 में भी कांग्रेस ने चुनावी मुकाबले में हिस्सा लिया, लेकिन उनकी भूमिका सीमित रही। AAP ने एक बार फिर शानदार बहुमत हासिल किया, और कांग्रेस का वोट शेयर बहुत घट गया, जिससे AAP को कोई खास नुकसान नहीं हुआ।
अर्थात, दिल्ली की उन सीटों पर जहां कांग्रेस मजबूत थी, AAP के लिए वोट कटवा साबित हुई थी। अगर कांग्रेस और AAP के बीच कुछ गठबंधन होता या कांग्रेस अधिक प्रभावी होती, तो शायद AAP की किस्मत और बेहतर हो सकती थी।
