देश में पहली बार लॉकडाउन की वजह से ईद का त्योहार फीका रहेगा। इस मौके पर जश्न नहीं मनेगा। शारीरिक दूरी का पालन करने की वजह से लोग एक-दूसरे को गले लग कर ईद की मुबारकबाद नहीं दे पाएंगे। यही नहीं, एक-दूसरे के घर जाकर सेवइयों का भी लोग मजा नहीं ले पाएंगे। इस तरह, इतिहास में ये पहली ईद होगी जो सादगी से मनाई जाएगी। कोरोना महामारी के बीच पड़ी इस ईद पर लोगों में उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। ज्यादातर लोगों ने उलेमा के कहने पर नए कपड़े नहीं सिलवाए हैं।
रमजान के बाद हर साल ईद का त्योहार मनाया जाता है। ईद पर मस्जिदों और ईदगाहों में सामूहिक नमाज होती है। लोग एक -दूसरे के गले लग कर ईद की मुबारकबाद देते हैं। ईद पर गले लगने का रिवाज बड़ा अहम माना जाता है। ईद पर गले मिलने की बड़ी अहमियत है। लेकिन, इस बार लोग ऐसा नहीं कर पाएंगे। इस बार ईद का पर्व घरों में सिमट कर रह जाएगा। ईद पर दोस्त और रिश्तेदार एक-दूसरे से नहीं मिल पाएंगे। घरों पर बनेंगी सेवइयां और लच्छे। हर साल लोग अपने घर पर बने लच्छे और सेवइयां नहीं चखते थे। मगर, इस साल लोगों को अपने ही घर में बने लच्छे और सेवइयां खा कर मुतमइन रहना पड़ेगा। ईद की नमाज तो घर पर होगी ही। लोग ईद का त्योहार अपने परिवार के साथ ही मनाएंगे।