इन 4 कारणों से आया देश में कोयला संकट, जानें क्या है सरकार की तैयारी

देश में कोयले का संकट गहराता जा रहा है. सरकार ने कोर मैनेजमेंट कमेटी का गठन किया है जो कोयले के स्टॉक की निगरानी और प्रबंधन का काम देख रही है. कोल इंडिया ने कोयले के डिस्पैच का टारगेट बढ़ाने का फैसला भी लिया है.

देश में कोयले का संकट गहराता जा रहा है. कोयले का संकट होने का सीधा-सीधा असर बिजली के उत्पादन पर पड़ेगा, क्योंकि देश में ज्यादातर बिजली कोयले से ही बनाई जाती है. हालांकि, ऊर्जा मंत्रालय का दावा है कि जल्द ही इस संकट को दूर कर लिया जाएगा. लेकिन ये संकट आया क्यों तो इसके चार कारण हैं…

  1. अर्थव्यवस्था में सुधार आते ही बिजली की मांग बढ़ गई है.
  2. सितंबर में कोयला खदानों के आसपास ज्यादा बारिश होने से कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ है.
  3. विदेशों से आने वाले कोयले की कीमतें बढ़ीं. इससे घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ गई
  4. मॉनसून की शुरुआत से पहले कोयले का स्टॉक न रखना.

सरकार क्या कर रही है?

  • कोयले के स्टॉक की निगरानी के लिए ऊर्जा मंत्रालय ने 27 अगस्त को एक कोर मैनेजमेंट टीम का गठन किया है. ये टीम हफ्ते में दो बार कोल स्टॉक की निगरानी और प्रबंधन का काम देखती है. इस कमेटी में ऊर्जा मंत्रालय, सीईओ, पोसोको, रेलवे और कोल इंडिया लिमिटेड के अधिकारी हैं. 
  • इस कमेटी ने 9 अक्टूबर को मीटिंग की थी. इसमें नोट किया गया कि 7 अक्टूबर को कोल इंडिया ने एक दिन में 1.501 मीट्रिक टन कोयले को डिस्पैच किया है, जिससे खपत और सप्लाई के अंतर में कमी आ गई है. अगले तीन दिन में इस डिस्पैच को 1.6 मीट्रिक टन तक पहुंचाने का टारगेट रखा गया है. 
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