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राज्यपाल को सौंपा CM योगी ने इस्तीफा, जाने कब ले सकते है शपथ….

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई सरकार के गठन से पहले परंपराओं को निभाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। शुक्रवार की दोपहर मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद योगी आदित्यनाथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने राजभवन पहुंचे और अपना इस्तीफा सौंपा। नई सरकार के गठन से पहले तक योगी कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर काम करेंगे। माना जा रहा है कि होली से पहले वह शपथ ले लेंगे।

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में मिली जीत से उनके नाम पर पहले ही मुहर लग चुकी है। अब विधायक दल की बैठक में नेता चुनने की औपचारिकता पूरी की जाएगी। माना जा रहा है कि दिल्ली में अन्य मंत्रियों के नाम पर मुहर लगेगी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 15 मार्च को नई सरकार का गठन हो सकता है।

यूपी में बीजेपी गठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल की है। बीजेपी ने अकेले 255 सीटों पर जीत दर्ज की है। उसके गठबंधन सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को 12 और निषाद पार्टी को छह सीटें मिली हैं। 37 साल बाद प्रदेश में कोई सरकार रिपीट हुई और योगी दोबारा मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

यूपी की 403 विधानसभा सीटों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 275 सीटें जीती हैं, जबकि प्रमुख प्रतिद्वन्द्वी समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन को 124 सीटें मिली हैं। बहुजन समाज पार्टी महज एक सीट पर सिमट गई है और कांग्रेस के खाते में दो सीटें आई हैं जबकि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को दो सीटें मिली हैं।

इस विधानसभा चुनाव की जीत से न सिर्फ योगी का कद बढ़ा बल्कि वे एक ऐसे नायक के रूप में उभरे, जिसने तमाम विषम परिस्थितियों पर काबू पाते हुए जीत का तोहफा भाजपा की झोली में डाल दिया। यूपी के चुनावी नतीजों ने न सिर्फ योगी की बुलडोजर बाबा की छवि और उनके सुशासन मॉडल पर मुहर लगा दी बल्कि विरोधियों के मंसूबे भी ध्वस्त कर दिए।

योगी की बेदाग छवि और पूरे पांच साल बिना रुके, बिना थके उनकी मेहनत के आधार पर प्रदेश की जनता ने उन्हें ही यूपी के लिए सबसे उपयोगी माना। भाजपा छोड़ सपा में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य और धर्मसिंह दिग्गज भी धराशायी हो गए। हालांकि प्रदेश के कई मंत्री भी चुनाव हार गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सितंबर 2021 को अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप विश्वविद्यालय के शिलान्यास के मौके पर ही यूपी चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया था कि पार्टी यूपी की कानून-व्यवस्था को ही मुख्य चुनावी हथियार बनाएगी। भाजपा उसी एजेंडे पर आगे बढ़ी। विरोधियों ने कभी जाति, कभी ठोको नीति तो कभी अन्य मुद्दों को लेकर योगी को घेरा लेकिन कोई भी रणनीति काम नहीं आई।

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