मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के देहरादून स्थित आवास पर बच्चे फूलदेई मनाने के लिए पहुंचे…..

आज से शुरू हो रहा फूलदेई का त्योहार उत्तराखंडी समाज के लिए विशेष पारंपरिक महत्व रखता है। चैत की संक्रांति यानि फूल संक्रांति से शुरू होकर इस पूरे महीने घरों की देहरी पर फूल डाले जाते हैं। इसी को गढ़वाल में फूल संग्राद और कुमाऊं में फूलदेई पर्व कहा जाता है। जबकि, फूल डालने वाले बच्चों को फुलारी कहते हैं। इस खास मौके पर फूलदेई, छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार… जैसे लोक गीत सुनने को मिलते हैं।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के देहरादून स्थित आवास पर बच्चे फूलदेई मनाने के लिए पहुंचे। इस मौके पर बच्चों ने फूलदेई के गीत और मंगल गीत गाये। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और उनकी पत्नी डॉ. रश्मि त्यागी रावत ने भी बच्चों के साथ प्रकृति का आभार प्रकट करने वाला लोक पर्व फूलदेई मनाया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने भगवान से कामना की कि वसंत ऋतु का यह पर्व सबके जीवन में सुख समृद्धि एवं खुशहाली लाए। मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर आए बच्चों को उपहार भेंट किये।

वहीं इस दौरान मुख्यमंत्री आवास में अव्यवस्थाओं के कारण बच्चों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी। करीब आधा घंटा बच्चों को मुख्यमंत्री के दरवाजे के बाहर खड़ा रखा गया। बाद में जैसे ही मुख्यमंत्री बाहर निकले लोग उनके पास जाने के लिए आगे बढ़ गए। इससे मौजूद बच्चे भीड़ के बीच परेशान हो गए। भीड़ को संभालने में मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मी पूरी तरह नाकाम दिखे। 

रविवार से चैत महीने की शुरुआत
सर्दी और गर्मी के बीच के खूबसूरत मौसम में मनाए जाने वाले फूलदेई त्योहार में मुस्कुराते बच्चे फ्यंली, बुरांश और बासिंग के पीले, लाल, सफेद फूल घर की देहरी पर सजाते हैं। फूलदेई उत्तराखंड का विशेष लोक पर्व है। ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट और आचार्य सुशांत राज ने बताया कि रविवार से चैत महीने की शुरुआत हो रही है।

चैत में प्रदेशभर में फूलों की चादर बिछी रहती है। बच्चे टोकरी में खेतों से फूल लेकर आते हैं और सुबह-सुबह घरों की देहरी पर रख जाते हैं। माना जाता है कि घर की देहरी पर फूल रखने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं। इस पर्व की झलक लोक गीतों में भी देखने को मिलती है।

‘बदलते वक्त के साथ जिंदा है परंपरा’

अखण्डवानी भिलंग, रायपुर के जूनियर हाईस्कूल में शनिवार को फूलदेई का त्योहार मनाया गया। इसमें बच्चों ने खेत से फूल चुनकर स्कूल की देहरी पर सजाए। स्कूल के प्रधानाध्यापक सतीश घिल्डियाल ने कहा कि उत्तराखंड का प्रमुख त्योहार फूलदेई बदलते वक्त के साथ परंपरा को जिंदा रखे हुए है। बच्चों के द्वारा देहरी पर फूल रखने से ईश्वर प्रसन्न होकर व्यक्ति की मनोकामना पूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि फूलदेई के मौके पर सीएम आवास में होने वाले कार्यक्रम में भी स्कूल के बच्चे भाग लेंगे।
नगरों व देश-विदेश में प्रवासी मनाएं फूलदेई त्योहार : बलूनी
उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने नगरों और देश-विदेश में रह रहे प्रवासियों से फूलदेई त्योहार मनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि रविवार को उत्तराखंड का महत्वपूर्ण लोकपर्व फूलदेई का त्योहार है।

यह पर्व पूरे पर्वतीय अंचलों में धूमधाम से मनाया जाता है, जो हमारे दिनचर्या, ऋतुओं और उसके वैज्ञानिक पक्ष से जुड़ा है। किसी भी समाज के विकास के लिए वहां के रीति रिवाज और लोकपर्वों का भी विशेष योगदान होता है।

बलूनी ने कहा कि इस शुभ पर्व पर हम भी अपने नौनिहालों से घर की देहरी पर पुष्प वर्षा कराएं और उन्हें शगुन तथा उपहार देकर इस त्यौहार को जीवंत बनाएं। पारंपरिक पकवानों का आनंद लें और सोशल मीडिया पर भी फूलदेई त्योहार मनाने के चित्रों को साझा भी करें। 

सांसद बलूनी ने कहा कि अनेक संस्कृति के संरक्षक निरंतर लुप्त होते त्योहारों को मनाने और इनके संरक्षण के प्रयास करते रहे हैं। हमारे महान पूर्वजों ने निर्धारित सभी त्योहारों का समय, उनके मनाने के प्रतीक और प्रक्रिया पूर्ण रूप से हमारे परंपरागत जीवन की झलक देती है।

समय के साथ भले ही हमारी जीवन शैली में बदलाव आया है किंतु हमारे पर्व हमें अपने अतीत से जोड़ते हैं और हमें अपने महान संस्कृति का बोध कराते हैं। जिस तरह इगास के त्योहार को आप सभी ने देश-विदेश तक पहुंचाया और वहां रहने वाले उत्तराखंडी बंधुओं ने इगास/बूढ़ी दीवाली को एक वैश्विक की पहचान दी वह गौरवान्वित करने वाली है। इसी तरह फूलदेई के त्योहार को भी मनाकर उसे संरक्षित करने के अभियान में भागीदार बनें।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने भी दी फूलदेई की बधाई

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फूलदेई पर्व पर प्रदेश की जनता को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि देवभूमि में मनाया जाने वाला लोकपर्व फूलदेई उत्तराखंड की संस्कृति का द्योतक है। यह पर्व पहाड़ की महान संस्कृति व परंपराओं को भी कायम रखे हुए है। प्रकृति से जुड़ा फूलदेई का पर्व हम सभी को प्रकृति के प्रति हमारे दायित्वों व कर्तव्यों की भी याद दिलाता है। 

Share
Now