एक और बाबा चर्चा में: हत्या से लेकर जमीन पर कब्जे के अरोप! पुलिस खंगाल रही है क्राइम कुंडली करौली बाबा….

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के बाद करौली धाम के बाबा संतोष चर्चा में हैं. उन पर एक भक्त ने पिटवाने का आरोप लगाया है. इसका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें बाबा और भक्त के बीच बहस हो रही है. इसके बाद भक्त के साथ बाउंसर धक्कामुक्की करते नजर आ रहे हैं. इस मामले में पुलिस आज करौली बाबा संतोष सिंह भदौरिया से पूछताछ करेगी.

भक्त डॉक्टर सिद्धार्थ चौधरी के साथ मारपीट वाले स्थान की बिधनू पुलिस टीम मुआयना करेगी. करौली शंकर बाबा के आश्रम में बाबा संतोष सिंह भदौरिया से पूछताछ होगी. कानपुर के डीसीपी साउथ का कहना है कि फिलहाल सिद्धार्थ चौधरी केस की पड़ताल पर पूरा ध्यान है. मामला तूल पकड़ा तो करौली बाबा की क्राइम कुंडली भी सामने आ गई.

आपराधिक इतिहास की लंबी फेहरिस्त

करौली बाबा संतोष सिंह भदौरिया के आपराधिक इतिहास की फेहरिस्त काफी लंबी है. करौली बाबा के खिलाफ 1992-95 के बीच हत्या समेत कई आपराधिक मामले दर्ज हुए. 14 अगस्त 1994 को तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह के आदेश पर संतोष भदौरिया पर रासुका की कार्रवाई की गई. जिसका नंबर 14/जे/ए एनएसए 1994 है.

संतोष ने एनएसए हटाने के लिए गृह सचिव को चिट्ठी भेजा था. चिट्ठी में संतोष ने बताया था कि वह 1989 से किसान यूनियन में कार्यकर्ता हैं. इस बीच पुलिस से बचने के लिए वह किसान नेता बन गया और जमीनों पर अवैध कब्जा करना शुरू कर दिया. उस पर एक चर्च की जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप है.

1992 में फजलगंज में हुई हत्या में आया था नाम

1992 में फजलगंज थाना क्षेत्र में शास्त्रीनगर निवासी अयोध्या प्रसाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. राज कुमार ने मामले में संतोष भदौरिया व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसी दौरान उनका नाम सामने आया था. मामले में पुलिस ने उसे जेल भेज दिया. संतोष भदौरिया 27 मार्च 1993 को जमानत पर रिहा हुआ था.

वहीं 7 अगस्त 1994 को तत्कालीन कोतवाली प्रभारी वेद पाल सिंह ने संतोष भदौरिया व उसके साथियों के खिलाफ गाली-गलौज, मारपीट, आपराधिक धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसके बाद 12 अगस्त 1994 को महाराजपुर थाने में तैनात तत्कालीन आरक्षक सत्य नारायण व संतोष कुमार सिंह ने चकेरी थाने में मारपीट, सरकारी कार्य में बाधा डालने सहित अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करायी. इसके अलावा उनके खिलाफ वर्ष 1995 में बर्रा में भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

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