जनगणना के साथ देश में जातीय जनगणना की भी जरूरी…..आजाद अली

देश में जल्द ही जनगणना हो सकती है जैसे ही इसकी चर्चा शुरू हुई तो अब जातीय जनगणना का मुद्दे फिर से उठ गया है
आपको याद होगा कि देश में कई सालों से जनगणना का काम रुका हुआ है कोविद-19 की वजह से 2021 में जनगणना होनी थी लेकिन नहीं हो पाई लेकिन जल्द ही अब जनगणना का काम शुरू हो जाएगा समाचार एजेंसी PTI के अनुसार 2025 की शुरुआत में जनगणना शुरू हो सकती है और 2026 तक जनगणना घोषित हो जाएगी लेकिन जातीय जनगणना को लेकर अभी सरकार ने कुछ स्पष्ट नहीं किया है आम जनगणना के साथ जातीय जनगणना की मांग भी जोर पकड़ जा रही है देश की जनसंख्या की गणना 1951 से हर 10 साल में की जाती रही लेकिन अभी तक जातीय आंकड़े नहीं मिले इसी मांग को लेकर आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और जन अधिकार मोर्चा के अध्यक्ष आजाद अली ने कहा है कि जातीय जनगणना जरूरी है उससे पता लगेगा कि किसी आदमी को किस आधार पर कितना आरक्षण मिल रहा है साथ ही जाती है जनगणना के जो अन्य फायदे हैं वह भी मिल जाएंगे जाति आधारित जनगणना के समर्थक इसके लाभ बनाते हुए कहते हैं कि वंचित वर्गों के विकास और जन कल्याण के लिए बेहतर नीतियां बनाना आवश्यक है जो जातीय जनगणना से ही संभव है
आजाद अली कहते हे कि जनगणना के दौरान सिर्फ गिनती नहीं बल्कि उनके घर परिवार की स्थिति धर्म भाषा शिक्षा और रोजगार आदि के बारे में भी पूछा जाता है तो अगर इसमें जाति वाला कलम और प्रश्न भी जोड़ दिया जाए तो कोई बुराई नहीं इसे सही स्थिति का पता लग जाएगा वैसे आपको याद होगा कि पिछले दो-तीन साल से कई राजनीतिक पार्टियों जातीय जनगणना का समर्थन कर रही हैं परंतु केंद्र सरकार इस मुद्दे पर उलझन में है ना इनकार कर रही है ना इकरार । आजाद अली का कहना है कि अगर सरकार सबका साथ सबका विकास चाहती है तो उसको जातीय जनगणना से परहेज क्यों है उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसे नहीं करवाती है तो हम बड़े स्तर पर आंदोलन के लिए तैयार है । अब देखने वाली बात यह है कि सरकार किस तरह से जातीय जनगणना कि इस मांग को मानती है और अगर नहीं मानती है तो राजनीतिक दल और इसके समर्थक आगे क्या रणनीति बनाकर काम करेंगे लेकिन यह मुद्दा बाद तेजी से उठने वाला है और इसके राजनीतिक परिणाम भी होंगे इसलिए सरकार को चाहिए कि वह जातीय जनगणना कर सब कुछ स्पष्ट करें जिससे कि लोगों की बहुत पुरानी मांग पूरी हो सके….

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