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Rajasthan: बीजेपी ने जिसको मंत्री बनाया- जनता ने हराया – यह रहा हार का कारण…

भाजपा के नेता जब श्रीकरणपुर में चुनावी मैदान में पहुँचे तो उन्हें शुरू में ही अहसास हो गया था कि उनके उम्मीदवार की स्थिति अच्छी नहीं है. इसीलिए उन्हें विधायक चुने जाने से पहले ही राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया और विभाग भी आवंटित कर दिए गए.

उन्हें कई दिन इंतज़ार के बाद विभाग उस दिन दिए गए, जब मतदान हो चुका था. यानी पार्टी को टीटी की जीत के संकेत मिल रहे थे.

मुख्यमंत्री ने उन्हें कृषि विपणन विभाग, कृषि सिंचित क्षेत्र विकास एवं जल उपयोगिता, इंदिरा गांधी नहर विभाग और अल्पसंख्यक मामलात के साथ वक्फ विभाग सौंपे.

यह आज़ाद भारत के चुनावी इतिहास में संभवत: पहला मौक़ा रहा है जबकि चुनाव के दौरान किसी उम्मीदवार को जीतने से पहले ही मंत्री बना दिया गया.

चुनाव आचार संहिता में भी इस तरह के मामले पर स्पष्टता नहीं है, क्योंकि किसी ने यह कल्पना ही नहीं की कि कोई पार्टी ऐसा भी कर सकती है.

गंगानगर ज़िले में श्रीकरणपुर के कुछ किसानों का कहना था कि टीटी को मंत्री तो बनाया गया; लेकिन उन्हें सौंपे गए विभाग इस इलाक़े के किसानों के किस काम के थे?

जहाँ चुनाव था, वह इलाक़ा इंदिरा गांधी नहर में नहीं, गंगनहर में आता है. इस नहर के पानी का मामला आए दिन चर्चा का विषय रहा है.

श्रीगंगानगर ज़िले की सीट सादुलशहर से भाजपा सरकार में कभी मंत्री रहे गुरजंट सिंह के विभाग सिंचाई विभाग रहा तो वे पंजाब में अपने असर और रसूख का इस्तेमाल करके ज़िले को अधिक पानी दिलाते रहे हैं; लेकिन टीटी को सौंपे गए विभागों में न तो कृषि था, न गंगनहर और न ही विकास का कोई और विभाग, जो इस इलाक़े के मतदाताओं के काम आता.

11 प्रत्याशी थे चुनावी मैदान में
श्रीकरणपुर विधानसभा सीट पर कुल 13 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था। एक नामांकन खारिज हो गया। जबकि एक नामांकन वापस ले लिया गया। ऐसे में अब 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इनमें भाजपा के सुरेंद्र पाल सिंह टीटी, कांग्रेस के रुपिंदर सिंह कुन्नर, बसपा के अशोक कुमार, आम आदमी पार्टी के प्रीतीपाल सिंह, नेशनल जनमंडल पार्टी से कृष्ण कुमार, शिरोमणि अकाली दल से बालकरण सिंह के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में काला सिंह, चुकी देवी, छिंदरपाल सिंह और तितर सिंह भी प्रत्याशी थे। इस दौरान मतगणना में 18 राउंड हुए। इस दौरान टीटी सातवें राउंड से ही रुपिंदर सिंह से पिछड़ते गए। बाद में रूपेंद्र सिंह ने टीटी को 11 से ज्यादा मतों से पराजित किया।

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