लखनऊ में जलाई गईं रामचरितमानस की प्रतियां! स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में प्रदर्शन

रामचरितमानस को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब यूपी की राजधानी लखनऊ में ओबीसी महासभा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के दिए विवादित बयान के समर्थन में रामचरितमानस की प्रतियों को जलाकर विरोध प्रदर्शन किया है.

बिहार से शुरू हुआ रामचरितमानस विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब यूपी की राजधानी लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां जलाई गई हैं. रामचरितमानस को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के दिए विवादित बयान के समर्थन में ओबीसी महासभा उतर आया है.

मौर्य ने क्या कहा था?

ओबीसी महासभा ने लखनऊ में प्रदर्शन किया और रामचरितमानस की प्रतियों को जलाया. समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. 

स्वामी प्रसाद मौर्य यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के खिलाफ यूपी में धार्मिक भावनाएं भड़काने का केस भी दर्ज हो चुका है.

कौन हैं स्वामी प्रसाद मौर्य

रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर सुर्खियों में आने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने 80 के दशक में राजनीति में कदम रखा था. स्वामी प्रसाद मौर्य ‘बुद्धिज्म’ को फॉलो करते हैं. वह अंबेडकरवाद और कांशीराम के सिद्धांतों को मानने वाले नेताओं में हैं, जिसके चलते दलित-ओबीसी की राजनीति ही करते रहे हैं. 

स्वामी प्रसाद ने लोकदल से अपना सियासी सफर शुरू किया और बसपा में रहते हुए राजनीतिक बुलंदियों को छुआ. बसपा से लेकर बीजेपी तक की सरकार में मंत्री रहे और अब सपा के साथ है, लेकिन अंबेडकरवादी विचारों को नहीं छोड़ा.  

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