
-ग्रमीणों ने बीडीओ को सौपी लिखित शिकायत कार्यवाही व जाँच की मांग
-पतना के शहरी में अभी तक नहीं रुका मनमानी और भ्रस्टाचार की कड़ी
पतना :-प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सारी गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना में हारी अनियमितता और भ्रष्टाचार नीतियों से सुसज्जित क्रियाकलापों की व्यख्या ग्रमीणों द्वारा की गई है जो सरकार के3 महत्वाकांक्षी योजनाओं पर बड़ा सवाल खड़े करती है ज्ञात हो कि बीते कुछ माह पहले पतना प्रखंड के शहरी नामक गांव में बिना लाभुकों के जानकारी के प्रधानमंत्री आवास योजना कागजी तौर पर आवंटित कर पंचायत सेवक एवं सीएसपी संचालक द्वारा जालसाजी कर 4 आदिवासी ग्रामीणों के नाम पर सरकारी राशियों का गबन करने का मामला प्रकाश में आया था।जिस मामले में गड़बड़ी की बात लाभुकों को पता चलने के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं सांहेबगंज जिला उपायुक्त को सभी लाभुकों ने लिखित रूप से शिकायत कर इस जालसाझी कि शिकायत करते हुए गंभीरता से जाँच करने की माँग संयुक्त रूप से लाभुकों ने की थी।जिस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन द्वारा आला अधिकारियों एवं जांच टीम का गठन कर पटना प्रखंड केसरी गांव में आवेदन अनुसार दी गई जानकारी का सत्यापन करने का निर्देश दिया गया है जिसके बाद ताबड़तोड़ जांच कराई गई जिसमें सभी आवास योजनाओं की राशियों का गबन संबंधित पंचायत सेवक आनंद कुमार एवं सीएसपी संचालक के मिलीभगत से आवास की राशियों के गबन की शिकायत सत्य पाई गई और संबंधित कर्मचारियों एवं सीएसपी संचालकों पर विभागीय कार्यवाही की गई और एफआईआर दर्ज कराई गई ,हालांकि योजनाओं की राशियों की वसूली विधिवत करा ली गई और दोषियों पर कंनूनी कार्यवाही हुई थी।और दोषी वर्तमान में जेल में है।
शहरी पंचायत में फिर से आवास योजना में भारी गड़बड़ झाला की शिकायत
बुधवार को प्रधानमंत्री आवास योजना में अनियमितता और जालसाजी की शिकायत लेकर ग्रामीणों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को लिखित रूप से आवेदन प्रेषित की और मामले को गंम्भीरता से लेते हुए आवश्यक कार्यवाही की मांग की है।सारी पंचायत के गीता पोखर गांव निवासी मीना देवी पति मंटू सहारा मिटा पोखर पंचायत शहरी थाना रंगा जिला साहिबगंज निवासी बुधवार को पटना प्रखंड मुख्यालय में प्रखंड विकास पदाधिकारी के नाम लिखित रूप से आवेदन सोते हुए बताया कि वह एक अत्यंत गरीब पिछड़ा वर्ग की हूं मेरा id-551071552 जिसे षडयंत्र के तगत चयनित सूची से हटा दिया गया है,इस संबंध में पंचायत सेवक को कई बार आवेदन देकर आवास योजना में नाम चढ़ाने को विनती की परन्तु पंचायत सेवक द्वारा इसके लिए 100000 दस हज़ार रुपये की मांग की गई।मैं रुपये देने में असमर्थ रही जिसके कारण चयनित सूची से नाम हटा दिया गया है।तत्पश्चात प्रखंड विकास पदाधिकारी को भी लिखित रूप से आवास निर्गत करने के लिए आवेदन पत्र सौपी उन्होंने लाभु को 7 दिनों के अंदर जांच प्रक्रिया के बाद योजना के लाभ हेतु आवास निर्गत करा दिए जाने का आश्वासन दिया,कई दिन बीत जाने के बाद भी आज तक इस मामले पर जांच किसी भी पदाधिकारी द्वारा नहीं किया गया हैं।इस संबंध में पतना प्रखंड विकास पदाधिकारी के नाम मामले की जानकारी देते हुए पुनः ग्रामीणों द्वारा आवेदन पत्र प्रेषित की गई है।इसी प्रकार के कई गरीब व असहाय लाभुकों द्वारा पटना प्रखंड विकास पदाधिकारी के नाम आवेदन प्रेषित की गई है जिसमें पंचायत सेवक और बिचौलियों की मनमानी की शिकायत की गई है दर्जनों की संख्या में पटना प्रखंड कार्यालय पहुंचकर लाभुकों ने आवेदन प्रेषित कर जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है जिस संबंध में पतना प्रखंड विकास पदाधिकारी सौरभ कुमार सुमन कार्यालय में अनुपस्थित होने के कारण फोन के माध्यम से आवेदन पत्र कार्यालय में जमा कर देने की बात कही साथ ही उन्होंने मामले की गंभीरता से जांच कर कार्रवाई करने की भी बात लाभुकों से कही है इस संबंध में ग्रामीणों में आक्रोशित लहजे में बताया कि जांच और कार्रवाई की उम्मीद पहले भी थी परंतु वह उम्मीद पूरी तरह से बेकार रहे सरकार द्वारा गरीब और असहाय लोगों को योजनाओं के माध्यम से लाभ पहुंचाने हेतु राशियों का आवंटन किया जाता है परंतु सरकारी कर्मचारियों एवं राजनीतिक दबाव के कारण बिजोलिया की गठजोड़ से कमजोर और गरीब तबके के लोगों को लाभ से वंचित रखते हुए भ्रष्टाचार के नियत से मनमाने ढंग से कार्य किए जाते हैं जो सरकारी कर्मचारियों के कर्तव्य पर बड़ा सवाल खड़े करती है वही ग्रामीणों ने अभी बताया कि कई ऐसे लाभुकों को आवास योजना का लाभ दिया गया है जो लाभुक वास्तव में जिंदा है ही नहीं मृत लाभुकों के नाम पर भी आवास की स्वीकृति करा दी गई है साथ ही एक ही परिवार में अलग-अलग 4,5 प्रधानमंत्री आवास योजना आवंटित की गई है जो नियमानुसार पूरी तरह से अन्याय है।इसके अलावे दो मंजिला मकानों एवं संपन्न परिवारों को भी प्रधानमंत्री आवास योजना आवंटित कराई गई है और झोपड़ी में जीवन यापन करने वाले गरीब ग्रामीण इस लाभ से वंचित है।