डॉ. जायसवाल ने बताया कि सभी विभागाध्यक्षों को चाहिए कि वे कक्षा तालिका (रूटीन) की पुनः समीक्षा करें एवं कक्षाओं के नियमित, समयबद्ध और प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि सभी शिक्षक निर्धारित व्याख्यान कक्षों में ही अध्यापन करें और फिलहाल उपलब्ध श्यामपट्ट (Blackboard) एवं चॉक के माध्यम से ही कक्षाएँ संचालित करें। यह व्यवस्था तब तक लागू रहेगी, जब तक कि आधुनिक तकनीकी शिक्षण विधियाँ औपचारिक रूप से लागू नहीं की जातीं।
डॉ. जायसवाल ने विशेष रूप से महाविद्यालय के विद्वान शिक्षकों से यह अपेक्षा व्यक्त की कि वे गेस पेपर आधारित प्रवृत्तियों को हतोत्साहित करें और विद्यार्थियों के बीच पाठ्यपुस्तक-आधारित शिक्षा संस्कृति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि “यह परिवर्तन भले ही क्रमिक हो, पर इसकी दिशा स्पष्ट, सुदृढ़ और अकादमिक गुणवत्ता को केंद्र में रखने वाली होनी चाहिए।”
कॉलेज प्रशासन का यह प्रयास एक गुणवत्तापूर्ण, अनुशासित एवं विषय-केंद्रित शिक्षण वातावरण की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। मनोरंजन प्रसाद, ब्यूरो चीफ, बांका।
