- इंडियन डॉक्टर्स का दावा
- गुटखा और सिगरेट खाने-पीने वालों को कोरोना जल्दी पकड़ रहा है,
- इसकी लत वाले कानपुर में संक्रमण को लेकर बेहद संवेदनशील देखे जा रहे हैं।
- स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के मुताबिक अभी तक जो भी कोरोना केस पॉजिटिव आए हैं.
- उनमें 30 फीसदी यानी 220 से अधिक केस गुटखा और सिगरेट खाने-पीने वालों के हैं या उनके घर के सदस्य सिगरेट, बीड़ी पीते हैं।
तंबाकू उत्पादों का सेवन सदियों से दुनियाभर में होता आ रहा है. समय में साथ-साथ इन उत्पादों के रूप में भी नवीनता आई, लेकिन चेतावनी वही रही- तंबाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया में लगभग 1.3 बिलियन यानी करीब 130 करोड़ लोग तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं. इन्हीं उत्पादों के सेवन से दुनियाभर में हर साल लगभग 8 मिलियन यानी 80 लाख लोगों यानी प्रति चार सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है. तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए डब्ल्यूएचओ और संबंधित संगठन हर साल 31 मई को ‘वर्ल्ड टोबैको डे’ मनाते हैं.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस पर विस्तृत अध्ययन चल रहा है। इसे लेकर पूरे विश्व के साथ कानपुर में चिंता बढ़ी है। सार्क देशों के डॉक्टर और वैज्ञानिक 30 जून को वेबिनार के जरिए अभी तक के मिले आंकड़ों पर मंथन करेंगे। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का यह प्रयास कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए बनाई जा रही रणनीति का बड़ा हिस्सा है। कानपुर में शहर के बच्चों के अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ राज तिलक रोकथाम के उपायों पर चर्चा करेंगे।
मंडल के अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ आरपी यादव का कहना है कि कोरोना संक्रमण को लेकर जो लोग संवेदनशील हैं, उन्हें बचाने से संक्रमण के फैलाव पर लगाम लगेगी। तंबाकू सेवन जानलेवा साबित हो रहा है। इस दिशा में काम हो रहा है व आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।
क्यों है यह खतरनाक
डॉ राज तिलक के मुताबिक अभी तक रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि गुटखा-सिगरेट नॉन कम्युनिकेबिल यानी दमा, डायबिटीज, कैंसर और गुर्दा रोग जैसे गैर संचारी रोगों को उभारने में मददगार हैं। इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों के कोरोना संक्रमित होने की संख्या अधिक मिल रही है। कोरोना इन बीमारियों की तीव्रता बढ़ा देता है।
संक्रमित करने का मौका देता है गुटखा-सिगरेट
डॉ राज तिलक के मुताबिक वैज्ञानिकों का मत है कि कोरोना काल लम्बा खिंच सकता है। ऐसे में इन रोगियों को बचाना चुनौती से कम नहीं है। दरअसल गुटखा- सिगरेट में पाए जाने वाले सीलियोटॉक्सिक केमिकल से सांस की नलियों में पाए जाने वाले रेशे, जो बाहरी वायरस को अंदर जाने से रोकते हैं, वह रेशे खत्म हो जाते हैं।
नतीजे में वायरस जल्दी प्रवेश कर जाता है। वैसे इन रोगियों में एसीई-2 रिसेप्टर तेजी से बढ़ते हैं, जो वायरस को सांस की नलियों में चिपकाने में मदद करते हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े
वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण- 2 (2016-17) के अनुसार उत्तर प्रदेश में तंबाकू का सेवन करने वालों का आंकड़ा 2009-10 में करीब 33.9 फीसदी था। 2016-17 में यह बढ़कर 35.5 फीसद पर पहुंच गया है। 2020 के अंत में इसके 49 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है।
कोरोना के लिए घातक बन जाता है गुटखा
– 1.5 गुना बढ़ जाती है बीमारी की गंभीरता
– 2.0 गुना जल्दी सीरियस होने के चांस बढ़ जाते हैं
– 2.5 गुना आईसीयू, वेंटिलेटर पर जाने और मौत की संभावना