सीआरपीएफ में 72 घंटे में 2 इंस्पेक्टरों ने की आत्महत्या,जानिए पिछले 5 सालो में जवानो का आत्महत्या का रिकॉर्ड

देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ में 72 घंटे के भीतर दो इंस्पेक्टरों ने आत्महत्या कर ली है।

एक इंस्पेक्टर की बॉडी पंखे से झूलती हुई मिली तो दूसरे ने अपनी राइफल से खुद को गोली मार ली।

असम में सीआरपीएफ की 20 बटालियन के हेडक्वॉर्टर कैम्पस में इंस्पेक्टर चित्तरंजन बारो का शव पंखे से लटका हुआ मिला। उस वक्त इंस्पेक्टर के हाथ और पांव बंधे हुए थे। दोनों ही मामलों की जांच हो रही है।


  वही सूत्रों के मुताबिक, पहली घटना 15 अगस्त को हुई थी। इंस्पेक्टर चित्तरंजन बारो मूल रूप के असम के कामरूप जिले के रहने वाले थे। अभी उनकी सेवा को 19 साल पूरे हुए थे। सुबह सात बजे उन्होंने अपना जीवन समाप्त कर लिया। खिड़की से देखा गया तो चित्तरंजन बारो, पंखे से लगे फंदे पर झूल रहे थे।

सूत्रों का कहना है, कुछ समय से इंस्पेक्टर चित्तरंजन, ड्यूटी को लेकर तनाव में थे।

वही सीआरपीएफ कोबरा 210 बटालियन में हुई। यहां पर इंस्पेक्टर शफी अख्तर ने अपनी राइफल से खुद को गोली मार ली। गंभीर अवस्था में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हे नहीं बचाया जा सका। 

पिछले पांच वर्ष की बात करें तो सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ और असम राइफल्स में 50155 कर्मियों ने जॉब को अलविदा कह दिया है। संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश भी की है कि सीएपीएफ में वर्किंग कंडीशन को बेहतर बनाया जाए।

ड्यूटी पर परेशानी है, इस संबंध में बात नहीं होती
वे अपनी समस्या किसी के सामने रखते हैं, तो वहां ठीक तरह से सुनवाई नहीं हो पाती। ये बातें जवानों को तनाव की ओर ले जाती हैं। कुछ स्थानों पर बैरक एवं दूसरी सुविधाओं की कमी नजर आती है। कई दफा सीनियर की डांट फटकार भी जवान को आत्महत्या तक ले जाती है। नतीजा, जवान तनाव में रहने लगते हैं।

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