संयुक्त राष्ट्र में पहली बार 20 दिसंबर 2024 को विश्व ध्यान दिवस मनाया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए ध्यान’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग, अवर महासचिव अतुल खरे और अन्य कई अधिकारी मौजूद रहे। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने इस अवसर पर मुख्य भाषण दिया और 600 से अधिक प्रतिभागियों को विशेष ध्यान सत्र कराया।
भारत के स्थायी मिशन ने इस आयोजन का आयोजन किया, जिसमें राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने वेलकम स्पीच दी। उन्होंने ध्यान को आंतरिक शांति और व्यक्तिगत पूर्ति का एक महत्वपूर्ण साधन बताया और यह भी बताया कि यह भारतीय सभ्यता के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत से जुड़ा हुआ है। महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग ने ध्यान के बारे में कहा कि यह लोगों के बीच करुणा और सम्मान पैदा करता है। वहीं अवर महासचिव अतुल खरे ने मानसिक स्वास्थ्य और ध्यान के बीच गहरे संबंध को उजागर किया और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों पर ध्यान के सकारात्मक प्रभाव को बताया। श्री श्री रविशंकर ने भी ध्यान के लाभों और इसके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
6 दिसंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित किया था। भारत ने इस प्रस्ताव को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस प्रस्ताव से शांति, समग्र मानव कल्याण और ध्यान की वैश्विक महत्ता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है।
21 दिसंबर को शीतकालीन संक्रांति होती है, जो भारतीय परंपरा में उत्तरायण की शुरुआत का प्रतीक है। इसे साल का सबसे शुभ समय माना जाता है, विशेषकर ध्यान और आंतरिक चिंतन के लिए। यह दिन 21 जून के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के ठीक छह महीने बाद पड़ता है, जो ग्रीष्मकालीन संक्रांति के साथ जुड़ा होता है।