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उत्तरकाशी में बिगड़े हालात के लिए कौन जिम्मेदार! कब होगी कार्यवाही…..

उत्तरकाशी विवाद में अजीब अजीब रंग देखने को मिल रहे हैं एक तरफा आरोप जहां एक तरफ हिंदूवादी संगठन मस्जिद को हटाने की मांग कर रहे हैं और झूठ के सहारे अपनी नैया को पार करना चाहते हैं अपनी उन्मुक्तता को बेचारे मुसलमानों के सर मढ़ना चाहते है दूसरी ओर जिला प्रशासन सच्चाई के साथ इस मस्जिद की मिल्कियत के बारे में तथ्य पेश कर रहा है और निष्ठा से अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह कर रहा है। कल बलवा करने वाले के खिलाफ एफ आई आर दर्ज हो चुकी है और सुसंगत धाराओं के अंदर पुलिस ने मुकदमा कायम कर दिया है चोटिल पुलिस और चोटिल आम नागरिक अस्पताल में रेफर कर दिये गए हैं पीछे के नेतागण, इस प्रोग्राम की प्रायोजक नई नई रणनीति बना कर सरकारी तंत्र को दुबारा मुश्किल हालात में डालना चाहते हैं। दर्शन भारती कहते हैं कि मुसलमानों ने ऊपर से पत्थर फेंक दिए मैं भगवाधारी, मुझे हिन्दू पत्थर नहीं मार सकते। हमारे राज में मुसलमानों की मदद पुलिस और प्रशासन कर रहा हैं अजीब की तर्क है कि प्रशासन के स्पष्टीकरण के बाद भी कि मस्जिद की मिल्कियत 1969 से मुसलमानों की हैं महाशय जी उत्तरकाशी में क्या कर रहे थे क्या डी एम साहेब की बात पर यकीन नहीं है और आपकी राज शाही हैं इस उत्तराखंड में कि मैं सच्चा और सब झूठे। इसका जवाब भी सरकार को पूछना चाहिए कि क्या अब जिलाधिकारी महाशय की इजाज़त से सही को सही और गलत को गलत कहेंगे। दबाओ पर दबाओ, 4 नवंबर को महा पंचायत का ऐलान कर दिया गया है स्वामी दर्शन भारती की टीम उत्तरकाशी में डेरा डाले हुए हैं और लोगों में धार्मिक उन्माद भर रही हैं न संविधान की परवाह न कानून का डर। आयोजकों के खिलाफ भी मुकदमा कायम हो गया है और जुलूस में शामिल होने वालो के खिलाफ भी, मगर इस तरह की नफरत फैलाने वाले पूरी तरह सुरक्षित हैं उनकी कमांड अभी भी चल रही हैं और नफरत का बाजार गरम है झूठ परोसा जा रहा है । अरे भाई यह कुछ हिन्दुवता के ठेकेदार हैं जो पुरोला में, उत्तरकाशी में, चमोली में या यह कहे पूरे उत्तराखंड में यह चाहते हैं कि गैर हिंदू यानी मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध इनके कथानुसार देवभूमि से चल जाए या यह ज़बरदस्ती इनको यहां से निकालने के लिए धर्मयुद्ध की चेतावनी देते हैं। इनको यह नहीं पता कि धर्मयुद्ध सच्चाई के लिए होता है और सच्चाई की ही विजय होती हैं।


स्वामी दर्शन भारती, राकेश उत्तराखंडी, दलपत भंडारी, केशव गिरी महाराज, आनंद स्वरूप, प्रबोधानंद,यति और उनके जैसे मानसिकता वाले धर्माध्य अगर यह समझते हैं कि इस देश में रहने वाले और खासकर उत्तराखंड में रहने वाले मुस्लिम, ईसाई, दलित और बौद्ध समाज, अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इस देश के नागरिक नहीं है तो यह उनकी गलतफहमी है इन सबको भी इस तरह के अधिकार प्राप्त हैं जिस तरह के अधिकार इन लोगों के प्राप्त है। पूरी कायनात और इस जमीन का एकाधिकार हमारे सब के पैदा करने वाले का है जो सब बादशाहों का बादशाह है और सबके सांसों की डोर भी उसी के हाथ में है तो ज्यादा गुरुर अच्छा नहीं होता कुछ दिन पहले केदारनाथ में उसकी ताकत का नजारा देख चुके हो।


अभी समय है की झूठ के आडंबर को त्याग कर सबके लिए शांति का रास्ता तलाश करो यह सारे लोग भारत के नागरिक हैं यही रहेंगे यही अपनी पूजा भी करेंगे उसके लिए मस्जिद भी बनाएंगे मंदिर भी बनाएंगे और चर्च भी बनाएंगे इनको इस अधिकार से वंचित करने की कोशिश एक घिनौनी साजिश है जो कामयाब नहीं होगी हमारे उत्तराखंड की सरकार को इस तरह से जो नफरत फैला रहे हैं उनको रोकने की जरूरत है और इस घटना के अंदर जो भी लिप्त है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है ।

रिपोर्ट:- खुर्शीद अहमद

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