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आजादी के 76 साल बाद कहां तक पहुंचे हम…..

76 वा स्वतंत्रता दिवस। बस दो दिन बचे हैं ठाठे मारता हुआ आ रहा हैं। हर वर्ग में उत्साह, मुसर्रत एवं शादमानी की 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया। गोरों का तसुल्लुत से हम आजाद हो गए। आज हमारा बीएसई सेंसेक्स दहाड़े मारता हुआ 65000 की नई ऊंचाई को छू गया। 10 टॉप टेन सेंसेक्स की कंपनीज में अगर शेयर होल्डिंग पैटर्न देखे तो उन्हीं गोरों का तसल्लुत। अब ब्रिटेन की नही अमेरिकन एफडीआई हमारी इस बीएसई इंडेक्स की तेजी में अपना रोल प्ले कर रही हैं। नेट वर्थ किस की बढ़ रही हैं यह तो वक्त ही बताएगा मगर भारत की एक बड़ी जनसंखिया इस वक्त शेयर, कमोडिटी, विदेशी मुद्रा वा खाने पीने की हर वस्तु के बाजार में सट्टे बाज़ी के जाल में फस गई हैं। रोज़ाना ही टमाटर का रेट ऊपर नीचे हो जाता हैं और हांडी में से जैसे टमाटर गायब।

कर्जे का मकड़ जाल दिनों दिन बढ़ता जा रहा हैं इसलिए हमारी वित्त मंत्री जी विकसित देशों से अपील करनी पड़ी कि कम विकसित देशों को कर्जे के मकड़ जाल से निकलने में मदद करें। और हो भी क्यों न हम जो भी कर्ज़ वापस करने की जुगत करते हैं वो ब्याज में चला जाता हैं। हर घड़ी की टिक पर 150,000 रूपये से ज्यादा जो ब्याज़ चढ़ रहा है। रुपया टूटता जा रहा हैं और डॉलर 80 रूपये के ऊपर। भारतीय कर्ज़ का अनुपात निकाले तो जब हमने कर्ज़ लिया था तो डॉलर की कीमत अनुपात के हिसाब से लगभग 40 रुपए थी अब जब हम कुछ वापस करना चाहते हैं तो डॉलर की कीमत 80रुपए के ऊपर। कैसे वापस करे मुद्रा बढ़होत्री का ही दुगने से ज़्यादा देना पड़ता है फिर हमारी कंपनीज में उनकी हिस्सेदारी बराबर बढ़ती जा रही हैं और हमारी नेट वर्थ घटती जा रही हैं और जब इतनी घट जाती हैं तो फिर माल्या, नीरू मोदी और बहुत सारे ऐसे स्कैम सामने आते हैं और भारतीय बैंक वा जनता लुट पिट जाती हैं। जांच पर जांच होती है, ब्लैक मनी लाने की बात होती है। मगर ढाक के सिर्फ तीन पात।

इस 76 वे स्वतंत्रता दिवस पर मेरी अपने भारत देश के लिए कामना है की हमारा देश कर्जमुक्त हो। तरक्की करे तो आत्म सम्मान के साथ करे। स्वालंभी बने तो बाइडेन जी की एफडीआई के भरोसे नहीं बल्कि अपनी अंदरूनी ताक़त से।

इस लेख का मकसद आज़ादी की अहमियत को वास्तविकता प्रदान करनी है पूंजीवाद की सट्टे बाज़ी और जूएबाज़ी से निकल कर भारत को सोने की चिड़िया बनाना हैं। मगर उसके लिए झूठे प्रचार और जुमलेबाजी को छोड़ना होगा।

मेरे देशवासियों आप सबको 76 वे स्वतंत्रता दिवस पर दिल की गहराइयों से मुबारकबाद। मगर एक बात याद रखना कि गोरों से एक आर्थिक जंग और लड़नी पड़ेगी अगर इस ज़मीन पर आज़ादी की सांस लेना चाहते है। सरकारों से अपेक्षा कम है मगर आप हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई इस भारत की आज़ादी के पेशवा हो कर्णधार हो सब मिलकर खड़े हो जाओ। अभी वक्त हैं मिलकर इस देश को संजो लो और विघटन की नीतियों से समाज को बचा लो। भारत विश्व गुरु तभी बन सकता है जब हम जंग आज़ादी की तरह गोरों की आर्थिक जंग से अपने देश को दुबारा से आज़ाद कर सकें।

आपका,
खुर्शीद अहमद,
37, प्रीति एनक्लेव, माजरा देहरादून उत्तराखंड।
मोबाइल:9548310328

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