महाराष्ट्र में पानी की भीषण किल्लत ने कई गांवों और शहरों को गंभीर संकट में डाल दिया है। कुछ स्थानों पर 75 घरों के लिए एक हैंडपंप और 700 लोगों के लिए एक कुआं जैसे हालात हैं, जो जलसंकट की गंभीरता को दर्शाते हैं।
प्रमुख प्रभावित क्षेत्र:
- गंगोडवारी, नाशिक: यहां के निवासी लगभग 70 फीट गहरे कुएं से पानी निकालने के लिए रस्सी का उपयोग करते हैं, जो अत्यधिक जोखिमपूर्ण है।
- कॉपर्ली खुर्द, नाशिक: यहां के 2,000 लोग बिना पाइपलाइन जल आपूर्ति के हैं। महिलाएं सुबह-सुबह कुएं से पानी लाने के लिए घंटों कतार में खड़ी रहती हैं।
- सुरडी, सांगली: यहां के ग्रामीणों ने जलसंकट से निपटने के लिए सामूहिक जलसंचय परियोजना शुरू की, जिससे अब वे नकदी फसलें उगाकर पुणे और मुंबई में निर्यात करते हैं।
- उचगांव, कोल्हापुर: यहां के कुएं सूख गए हैं और भूमिगत जलस्तर में गिरावट आई है। अब प्रत्येक घर में बोरवेल है, जिससे जलसंकट और बढ़ रहा है।
- कवठा, अकोला: यहां के 1,600 परिवारों के पास साफ पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग गड्ढों से पानी निकालने के लिए घंटों इंतजार करते हैं।
राज्य सरकार ने 511 जल टैंकरों के माध्यम से 456 गांवों और 1,087 वाडों में पानी आपूर्ति की व्यवस्था की है। हालांकि, यह व्यवस्था केवल अस्थायी है और दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है।
जलसंकट से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास, जलसंचय, और जल पुनर्भरण जैसी योजनाओं की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीणों को स्थायी जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
क्या अब भी चेतेंगे जिम्मेदार?
सवाल सिर्फ पानी का नहीं है, यह सवाल है एक सम्मानजनक जीवन का, जहां हर इंसान को शुद्ध जल तक पहुंच मिले. ये गांव हमें बार-बार याद दिला रहे हैं कि विकास की दौड़ में बुनियादी ज़रूरतें कहीं पीछे छूट रही हैं. अब वक्त आ गया है कि घोषणाएं नहीं, जमीन पर बदलाव दिखे