चीन ने भारत को 45 साल बाद फिर धोखा दिया है। सोमवार की रात लद्दाख में बातचीत करने गई भारत की सेना पर चीन की सेना ने हमला कर दिया। पत्थरों, लाठियों और धारदार चीजों से भारतीय सेना पर हमला बोला गया । इसमें भारत के कमांडिंग ऑफिसर समेत 20 सैनिक शहीद हो गए।
तीन घंटे चली यह झड़प दुनिया की दो एटमी ताकतों के बीच लद्दाख में 14 हजार फीट ऊंची गालवन वैली में हुई। उसी गालवन वैली में, जहां 1962 की जंग में 33 भारतीयों की जान गई थी। भारत ने चीन की तरफ हुई बातचीत इंटरसेप्ट की है। इसके मुताबिक, चीन के 43 सैनिक हताहत होने की खबर है, लेकिन चीन ने यह कबूला नहीं है। चीन से जारी तनाव के बीच हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिले में अलर्ट घोषित कर दिया गया है। इन जिलों की सीमाएं चीन से लगती हैं।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इस कवायद का मकसद स्थानीय लोगों को खतरे से बचाना और खुफिया जानकारी जुटाना है । पुलिस ने कहा कि लोगों की हिफाजत के लिए तमाम जरूरी कदम उठाए गए हैं । सूत्रों के मुताबिक, 20 में से 3 सैनिक गोलियां लगने से शहीद हुए हैं। 45 जवानों को बंधक बनाया गया था और इनमें से 25 को छोड़ दिया गया है। 135 भारतीय जवान घायल हैं। बड़ा सवाल ये है कि आखिर कब तक हमारे सैनिक इसी तरह शहीद होते रहेंगे । हालांकि भारत सरकार द्वारा मुद्दे पर अहम बैठक बुलाई गई है लेकिन देश में फैली प्रतिशोध की ज्वाला को सिर्फ बैठकों से शांत नहीं किया जा सकता है ।