G-20 बैठक में सऊदी, तुर्की के शामिल न होने पर क्या बोला पाकिस्तान….

कश्मीर के श्रीनगर में जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक में सऊदी अरब, चीन और तुर्की को छोड़ बाकी सभी सदस्य देश हिस्सा ले रहे हैं. सोमवार से शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक की सफलता को देखकर पाकिस्तान चिढ़ गया है लेकिन साथ ही वो खुश भी है कि उसके मित्र देश सऊदी, चीन और तुर्की बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. पाकिस्तान की मीडिया में इन देशों के जी-20 बैठक में शामिल न होने को पाकिस्तान की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा हैं.

जी-20 में कुछ देशों के शामिल न होने पर क्या बोली पाकिस्तान की मीडिया?

पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि सऊदी, तुर्की और चीन का जी-20 की बैठक में हिस्सा न लेना पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक जीत है. अखबार ने लिखा, ‘भारत की अध्यक्षता में श्रीनगर में G-20 की बैठक सोमवार को शर्मिंदगी के बीच शुरू हुई क्योंकि चीन और सऊदी अरब ने इसका बहिष्कार किया और पाकिस्तान के कई अन्य दोस्तों ने भी बहुत निम्न स्तर पर भागीदारी की.’

अखबार ने आगे लिखा, ‘चीन ने पहले ही 22-24 मई के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवादित क्षेत्र में टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक आयोजित करने का विरोध किया था. जी-20 के महत्वपूर्ण सदस्यों तुर्की, सऊदी अरब और गेस्ट के तौर पर आमंत्रित मिस्र ने भी इवेंट में अपनी पूरी भागीदारी से दूरी बना ली है.’

वहीं, पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने लिखा है कि कश्मीर में जी-20 की बैठक आयोजित करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन है.

अखबार ने लिखा, ‘कम से कम तीन देशों ने इस बैठक का बहिष्कार किया है और कई पश्चिमी देशों ने अपने प्रतिनिधियों को भेजने के बजाए भारत स्थित अपने राजनयिकों को बैठक के लिए भेजा है.’

डॉन ने लिखा कि चीन, तुर्की और सऊदी अरब बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. चीन लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में पहले की जी20 बैठकों से भी दूर रहा है.

पाकिस्तान के अखबार द नेशन ने इन देशों के जी-20 बैठक में शामिल न होने को एक सकारात्मक खबर बताया है. अखबार ने अपने एक संपादकीय में लिखा कि कई सदस्य देशों का बैठक में शामिल न होना दिखाता है कि दुनिया कश्मीरियों के भविष्य की परवाह करती है.

अखबार ने लिखा, ‘इस क्षेत्र पर कब्जा न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करता है, बल्कि यह समस्या के प्रति अमानवीय दृष्टिकोण को भी दिखाता है. कई देशों का बैठक में शामिल न होना यह दिखाता है कि ये देश कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं.

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