दहशतगर्द विकास दुबे के खास गुर्गे मदारीपुरवा गांव के प्रधान राम सिंह यादव को वारदात से ठीक पहले प्रभात बाइक से लेकर बिकरू पहुंचा था। राम सिंह ने प्रभात की छत से पुलिसकर्मियों पर सौ से अधिक राउंड फायरिंग की थी। उसने पुलिसकर्मियों को खोज-खोज कर मारा था। एसटीएफ ने सोमवार को उसकी लाइसेंसी डबल बैरल बंदूक बरामद की। इसके बाद उसे जेल भेज दिया गया।
एसटीएफ ने रविवार को 50 हजार के इनामी राम सिंह को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उसने बताया कि वारदात से पहले रात में विकास ने फोन कर बिकरू आने को कहा था। वाहन न होने की वजह से विकास के कहने पर प्रभात मिश्र उर्फ कार्तिकेय (एनकाउंटर में मारा जा चुका है) गांव से बिकरू बाइक से लेकर आया था। विकास के इशारे पर वह अपनी बंदूक को लेकर प्रभात की छत पर चढ़ा था। यहां उसके साथ प्रभात, शिवम दुबे और बीडीसी राजेंद्र मिश्रा असलहों के साथ मौजूद थे। पौने एक बजे पुलिस ने दबिश दी। इस पर सभी ने सैकड़ों राउंड पुलिस कर्मियों पर फायरिंग की।
इसके बाद वह टॉर्च की रोशनी में पुलिसकर्मियों को खोजता रहा। जिन पुलिस कर्मियों की सांसें चल रहीं थीं, उन्हें दोबारा गोली मारकर मार डाला था। एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि उसकी निशानदेही पर उसके घर से ही बंदूक बरामद की गई है। दोपहर बाद उसे जेल भेज दिया गया।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक वारदात के बाद राम सिंह भी कई दिनों तक शिवली में ठहरा था। इसके बाद वह औरैया, एनसीआर के अलावा लखनऊ में भी रहा। इन सभी जगहों पर उसने अपने करीबियों और रिश्तेदारों की भी मदद ली। चर्चा यह भी है कि विकास के बाद राम सिंह को डर था कि कहीं उसका भी एनकाउंटर न हो जाए।ऐसे में उसके वकील दोस्त ने शरण दिलाने और गिरफ्तारी कराने में मदद की। हालांकि आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं है। एसटीएफ और पुलिस अब उन पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही हैं, जिन्होंने राम सिंह को शरण दे रखी थी।
विकास दुबे से भी खतरनाक था उसका यह गुर्गा, पुलिस वालों को ढूंढ -ढूंढ कर मारा।
