UPBoard Result2020 : के टॉपर्स छात्रों को अखिलेश यादव ने दी बधाई- टॉपर्स सहित 152 छात्रों को देंगे लैपटॉप…..

अखिलेश यादव ने कहा कि यूं तो सभी छात्र-छात्राओं ने परिश्रम से सफलता हासिल की है, लेकिन 10वीं की टॉपर रिया जैन और 12वीं के टॉपर अनुराग मलिक सराहना के पात्र हैं.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाओं में सफल छात्रों को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है. साथ ही 10वीं और 12वीं के टॉपर्स समेत कुल 152 छात्रों लैपटॉप देने की घोषणा की है.

अखिलेश यादव ने कहा कि यूं तो सभी छात्र-छात्राओं ने परिश्रम से सफलता हासिल की है, लेकिन 10वीं की टॉपर रिया जैन और 12वीं के टॉपर अनुराग मलिक सराहना के पात्र हैं.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी नौजवानों की प्रगति और सम्मान के लिए सदैव प्रयासशील रही है. समाजवादी सरकार में कन्या विद्याधन और लैपटॉप वितरण योजना से छात्र-छात्राओं के जीवन में आगे बढ़ने के रास्ते खुले थे. नौजवानों के सपनों को साकार करने में इन योजनाओं का बड़ा हाथ रहा है.

अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में शीर्ष स्थान पाने वाले 51-51 छात्र-छात्राओं को लैपटॉप देना तय किया है. साथ ही आजमगढ़ जनपद के 50 सफल छात्र-छात्राओं को भी लैपटॉप दिए जाएंगे.

सरकारें बदलीं और ऐसे बदलते रहे रिजल्ट प्रतिशत

1996 में जब प्रेसीडेंट रूल था. उस दौरान भी रिजल्ट पर कुछ फर्क नहीं दिखा. इस साल 72.43 फिसदी रिजल्ट रहा. इसके बाद 1997 में सूबे की कमान मायावती के हाथ में आई. इस साल रिजल्ट घटकर 68.18 फीसदी हो गया. इसके बाद एक बार फिर जब 1998 में कल्याण सिंह सूबे के मुख्यमंत्री बने, तो फिर रिजल्ट का ग्राफ गिरकर 55.29 फीसदी रह गया. कहते हैं कल्याण सिंह की सरकार में सख्ती के साथ परीक्षा होती थीं.

नकलचियों की दाल गलना मुश्किल था. इस कारण कई परीक्षार्थी, तो परीक्षा में बैठने से भी डरते थे. साल 1999 में भी कल्याण सिंह की सरकार थी और इस बार भी रिजल्ट सिर्फ 61.34 फीसदी तक ही पहुंचा. इसके बाद अगले साल 2000 में बीजेपी ने राम प्रकाश गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया. इस साल रिजल्ट में थोड़ा सुधार आया और 69.28 फीसदी बच्चे पास हुए. राजनाथ सिंह के राज में साल 2001 में रिजल्ट 69.89 फीसदी और 2002 में 70.21 फीसदी पहुंचा.

साल 2004 में मुलायम के राज में फिर हुई वृद्धि

2003 में फिर मुलायाम सिंह यादव की वापसी हुई. उनके राज में साल 2004 में बोर्ड के परिणाम में रिकॉर्ड वृद्धि हुई और इस साल 89.5 फीसदी रिजल्ट रहा. 2007 तक रिजल्ट 89 फीसदी के आसपास रहा. 2008 से 2011 तक सूबे में बीएसपी की सरकार में मायावती मुख्यमंत्री रही. इस दौरान ज्यादातर रिजल्ट 79 से 80 फीसदी के बीच रहा.

अखिलेश राज ने तो रिकॉर्ड ही तोड़ दिया

इसके बाद साल 2012 में मानों परीक्षार्थियों के बीच अखिलेश भैया छा गए. 2012 में सपा की सरकार में अखिलेश यादव सूबे के मुख्यमंत्री थे और उनके साथ में रिजल्ट का सेंसेक्स बढक़र 89.4 फीसदी हो गया. 2013 में तो बोर्ड के रिजल्ट ने रिकॉर्ड तोड़कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया. बोर्ड के इतिहास में पहली बार रिजल्ट 92.68 रहा. जिसके बाद अखिलेश यादव छात्र-छात्राओं के बीच लोकप्रिय हो गए.

यूपी बोर्ड का पिछले कुछ सालों का रिजल्ट

  • 1991- मुलायम सिंह यादव- 80.54
  • 1992- कल्याण सिंह एंड प्रेसीडेंट- 30.38
  • 1993 – मुलायम सिंह- 38.62
  • 1994 – मुलायम सिंह- 54.02
  • 1995- मुलायम सिंह- 72.77
  • 1996- प्रेसीडेंट रूल- 72.43
  • 1997- 68.18- प्रेसीडेंट एंड मायावती
  • 1998 – कल्याण सिंह-55.29
  • 1999 – कल्याण सिंह- 61.34
  • 2000- राम प्रकाश गुप्ता- 68.28
  • 2001 – राज नाथ सिंह- 69.89
  • 2002 – राजनाथ सिंह एंड प्रेसीडेंट- 70.21
  • 2003 – मुलायम सिंह- 70.51
  • 2004 – मुलायम सिंह-89.5
  • 2005 – मुलायम सिंह- 89.38
  • 2006 – मुलायम सिंह- 89
  • 2007 – मुलायम सिंह- 89.34
  • 2009 – मायावती 79.52
  • 2010 – मायावती – 80.54
  • 2011 – मायावती – 80.14
  • 2012 – अखिलेश यादव- 89.4
  • 2013 – अखिलेश यादव – 92.68
  • 2014 – अखिलेश यादव- 89.46
  • 2015 – अखिलेश यादव 86.28
  • 2016-     87.66 फीसदी
  • 2017  –    81.18 फीसदी
  • 2018  –   75.16 फीसदी
  • 2019 –    80 फीसदी
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