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UKPCS के परिणाम जारी मुस्लिम कैंडिडेटस का गिरता प्रतिनिधित्व…..

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 2021 परीक्षा के परिणाम जारी कर दिए हैं जिसमें बहुत से छात्रों ने सफलता के झंडे गाड़े

HighLights

1. उत्तराखंड पीसीएस 2021 में कुल तीन मुस्लिम बच्चो का सिलेक्शन

2. कम सलेक्शन की एक वजह हमारी बच्चो की लैंग्वेज की कमज़ोरी

3. इस बार मात्र तीन अभ्यर्थी सफल हो पाए

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 2021 परीक्षा के परिणाम जारी कर दिए हैं जिसमें बहुत से छात्रों ने सफलता के झंडे गाड़े हैं लेकिन यह मुद्दा जिस पर ध्यान देना जरूरी है वह यह है कि मुस्लिम छात्रों का प्रतिनिधित्व लगातार घटता जा रहा है और इस बार मात्र तीन अभ्यर्थी सफल हो पाए हैं

उत्तराखंड पीसीएस 2021 में कुल तीन मुस्लिम बच्चो का सिलेक्शन

लहमा फिक्र यह है कि उत्तराखंड पीसीएस 2021 में कुल तीन मुस्लिम बच्चो का सिलेक्शन हमारे लिए एक फिक्र की बात होनी चाहिए और हमे इस बात पर गौर करना चाहिए कि हमारी सारी कोशिशों के बाद भी हमारे बच्चे रिजल्ट ओरिएंटेड क्यों नही बन पा रहे हैं और हमें अभी किस तरह की कोशिश की और जरूरत है। चले थे साहब बनने मगर अरमान पूरे नहीं हुए इसकी एक ही वजह है कि हमने उतनी मेहनत और मशक्कत ही नहीं की जितनी हमें करनी चाहिए थी कंपटीशन में कामयाब होने के लिए दूसरों से ज्यादा मेहनत करनी होती है गिरते हैं शह सवार मैदान ए जंग में वह तिफल पर क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चले अब तुम्हे हिम्मत नहीं हारनी है फिर दोबारा से खड़ा होना है दोबारा से मेहनत करनी है और अपनी मंजिल पर पहुंचना है यह सबक मुसलमानों के नौजवानों को सीखना होगा कि गिरने के बाद उठने में और हारने के बाद कितने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती हैं आने वाले उत्तराखंड पीसीएस के एग्जाम में 335 में तीन ना होकर कम से कम 30 के आंकड़े को छूना होगा यह मेरी अपेक्षा है उन नौजवानों से जो पीसीएस की तैयारी कर रहे हैं और उन रहबरो से जो इनको उठाने की कोशिश दिनों रात कर रहे हैं संसाधन ना होने के बावजूद इन नौजवानों को अच्छी सरकारी नौकरी दिलाने के लिए प्रयासरत है उनको भी अपनी नीतियों के बारे में भी दुबारा मुहासबा करना पड़ेगा और कमी को दूर करना पड़ेगा।

कम सलेक्शन की एक वजह हमारी बच्चो की लैंग्वेज की कमज़ोरी

एक बात साफ है कि उत्तराखंड में और दूसरे प्रदेश की तुलना में सिलेक्शन आसान है जरूरत है सही दिशा में काम करने की।कम सलेक्शन की एक वजह हमारी बच्चो की लैंग्वेज की कमज़ोरी है 75 साल बीत जाने के बाद भी हमारा अंग्रेजी नशा नहीं उतरा है और अक्सर बच्चे हिंदी में फैल हो जाते है इसलिए हिन्दी और उत्तराखंड के साहित्य पर ज्यादा मेहनत की जरूरत है उत्तराखंड पीसीए की तैयारी करने और कराने वालों को अपनी नीति में इस बात को शामिल करने की जरूरत है और फिर आसानी से पीसीएस की 30 नियुक्तियां प्राप्त की जा सकती हैं।

खुर्शीद अहमद

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