वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बड़ा बयान दिया।
उन्होंने कहा, ‘ज्ञानवापी को मस्जिद कहना जायज नहीं, दीवारें चिल्ला-चिल्ला कर कह रही हैं, मुस्लिम पक्ष को अपनी ऐतिहासिक गलती को स्वीकार कर समाधान का प्रस्ताव देना चाहिए’। सीएम योगी के इस बयान को पिछले साल ज्ञानवापी परिसर में हुई कमीशन की कार्रवाई के बाद हुए साक्ष्यों के दावों से जोड़कर देखा जा रहा है।
अजय कुमार मिश्रा की अगुआई में छह और सात मई को सर्वे की कार्रवाई हुई थी। इसके बाद 14 से 16 मई तक तीन एडवोकेट कमिश्नर की मौजूदगी में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ था।
इस दौरान तीन दिन में टीम ने पूरी पड़ताल की और तहखाने के अंदर की बनावट, धार्मिक चिन्ह, दीवारों की कलाकृति और खंभों की फोटो व वीडियोग्राफी भी करवाई। कार्रवाई पूरी होने के बाद कुछ लोगों ने साक्ष्यों को लेकर अपने-अपने दावे भी किए।
सूत्रों के अनुसार एक तहखाने में मगरमच्छ का शिल्प, कमल व स्वास्तिक की आकृति, देख सभी दंग रह गए। तहखाने में मंदिर शिखर का अवशेष भरा होने के कारण सर्वे में दिक्कत भी आई।
टीम में शामिल कुछ लोगों ने दावा किया कि ज्ञानवापी की दीवारों और पत्थरों पर कई चिह्न मौजूद हैं। दीवारों पर अंकित आकृतियों की स्थापत्य शैली को रिकॉर्ड में लिया गया। तहखानों में कमल व स्वास्तिक चिह्न मिलने की भी बात कही गई।
कार्रवाई के दौरान मौजूद रहे विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष और पक्षकार राखी सिंह के पैरोकार जीतेंद्र सिंह बिसेन ने भी कहा था कि मंदिर होने को लेकर अपेक्षा से ज्यादा साक्ष्य मिले हैं।
सर्वे के तीसरे और आखरी दिन ज्ञानवापी के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। इसे मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा बताया। हिंदू पक्ष अदालत पहुंचा तो वजूखाने को सील कर दिया गया। यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है।