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दुखद : मासूम बच्ची पर टूट पड़े बंदर और नोच नोच कर किया..

बरेली जिले के नकटिया नदी किनारे खेल रही पांच वर्षीय बच्ची पर हमला करके बंदरों ने उसे चबा डाला। साथ खेल रहे बच्चों ने भागकर गांव में सूचना दी तो लोग दौड़े, बंदरों से लहूलुहान बच्ची को छुड़ाकर अस्पताल लेकर भागे मगर भर्ती कराने के कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गई। इकलौती बेटी की मौत पर परिजनों में कोहराम मचा हुआ है।

बिथरी चैनपुर के बिचपुरी गांव के पास नकटिया नदी है। गांव के नंदकिशोर मजदूरी करके बच्चों का पालन पोषण करते हैं उनकी पत्नी लोगों के घरों में कामकाज करके परिवार चलाने में सहारा देती हैं। सोमवार को नंदकिशोर और उनकी पत्नी काम पर गए हुए थे। नंदकिशोर ने बताया कि सोमवार को उनकी पांच वर्षीय बेटी नर्मदा देवी नदी किनारे गांव के बच्चों के साथ खेल रही थी। इसी दौरान बंदरों ने उस पर हमला कर दिया। उसके साथ खेल रहे बच्चे भागकर गांव पहुंचे मगर नर्मदा को बंदरों ने दबोच लिया। बच्चों की पुकार पर ग्रामीण नदी किनारे दौड़े और लाठियां फटकारकर बंदरों को भगाया। खून से लथपथ नर्मदा को देखकर उनकी रुह कांप गई। गंभीर हालत में उसे लेकर तुरंत ग्रामीण अस्पताल की ओर दौड़े। निजी अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया मगर कुछ देर बाद ही बच्ची की मौत हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची को बंदरों ने बुरी तरह मांस नोचकर जख्मी कर दिया जिससे उसके शरीर का खून अत्यधिक मात्रा में बह गया और उसे बचाया न जा सका। नर्मदा अपने दो भाइयों के बीच इकलौती थी। इस हादसे के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है

मासूम बच्ची पर बंदरों के कहर से कांप गए गांव वाले
पांच साल की मासूम नर्मदा पर बच्चों के कहर के बाद गांव वाले बंदरों के आतंक से कांप गए हैं। वर्षों से बंदरों के कारण तमाम समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीणों को ऐसी घटना की उम्मीद नहीं थी। बंदरों के हमले में बच्ची की मौत के बाद ग्रामीण अपने बच्चों को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि कई बार अफसरों से शिकायतें की गईं मगर बंदरों से निजात दिलाने को कोई कदम नहीं उठाया गया। उधर, अपनी इकलौती बेटी को खोने के बाद नर्मदा के माता-पिता बेसुध हो गए हैं।
नंद किशोर की बेटी के साथ हुए हादसे के बाद गांव के लोगों ने शाम को खाना भी नहीं खाया। जैसे ही बच्ची की मौत की खबर आई, सभी नंद किशोर के घर की ओर जानकारी लेने के लिए दौड़ पड़े। नंद किशोर के दो बेटे हैं और तीसरी व इकलौती पांच साल की नर्मदा थी। परिवार के अलावा पड़ोसियों तक को नर्मदा से खासा स्नेह था। बच्ची की इस तरह से असमय हुई मौत के बाद ग्रामीणों के मन में जहां गम का गुबार है तो बंदरों से आतंक व दहशत का माहौल है, साथ ही सिस्टम की ओर से कोई कदम न उठाए जाने पर रंज भी।

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