पति की लंबी उम्र एव्म वैवाहिक जीवन को सुखमय-वट सावित्री व्रत सौभाग्य व्रत माना…

रिपोटर-राजेश पाण्डेय
पश्चिम चंपारण-बिहार

वट सावित्री व्रत महिलाओं का प्रमुख पर्व होता है
ज्येष्ठ माह के अमावस्या तिथि सबसे अधिक शुभ व फलदायी माना-जाता है, जिसे ज्येष्ठ अमावस्या भी कहते हैं। इसी दिन शनि जयंती एवं वट सावित्री व्रत जैसे पावन पर्व मनाए जाने का विधान हैं।

वट सावित्री अमावस्या व्रत है। धार्मिक मान्यता अनुसार, जो भी व्यक्ति ज्येष्ठ अमावस्या तिथि के दिन सच्ची भावना से स्नान-ध्यान, दान, व्रत और पूजा-पाठ करता है, उसे समस्त देवी-देवता का आशीर्वाद निश्चित ही प्राप्त होता है, इसलिए इस दिन पितरों व पूर्वजों की शांति और इष्ट देवी-देवताओं की कृपा पाने के लिए, किए जाने वाले हर प्रकार के कर्मकांड भी फलीभूत होते हैं।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं. ऐसे में इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व दिया गया है औऱ इस दिन वट (बरगद) के पेड़ का पूजन किया जाता है।

इस दिन सुहागिनें वट वृक्ष का पूजन कर इसकी परिक्रमा लगाती हैं। महिलाएं सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर इसके सात चक्‍कर लगाती हैं। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं।

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