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मध्य प्रदेश नगर निगम चुनाव में एक ही परिवार की तीन महिलाओं ने बीजेपी प्रत्याशियों का हराया !जाने गजब का संयोग….

रीवा में संपन्न हुए नगर निगम के चुनाव में इस बार महिलाओं ने बाजी मारी है। नगर निगम के पार्षद पद के लिये 45 वार्डो में से 27 महिलाएं चुनाव जीतकर पार्षद बनी हैं। इन महिलाओं में से तीन महिलाएं एक ही परिवार की सदस्य हैं। जो शहर के अलग-अलग वार्डो से चुनाव जीतकर पार्षद बनी है। और एक खास बात ये भी है की ये तीनों महिलाओं भाजपा प्रत्याशियों को हराकर चुनाव जीता है।

इन तीनों महिलाओं के बीच ननद भाभी और मामी सास का रिश्ता है। अब तीनों की तिकड़ी पार्षद बनकर रीवा के नगर परिषद में एक साथ जाएंगी। एक ही परिवार की तीन पार्षद महिलाओं की तिकड़ी में से दो ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था जबकि एक ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की है। हांलाकि यह भी चर्चा है कि निर्दलीय प्रत्याशी भी कांग्रेस का समर्थन कर सकती हैं।

रीवा शहर में पार्षद पद का चुनाव जीती ननद भाभी और मामी सास की तिकड़ी में शहर के वार्ड क्रमांक 23 से नवनिर्वाचित कांग्रेस प्रत्याशी रफीकुन शहनाज अंसारी, वार्ड 25 से नवनिर्वाचित कांग्रेस प्रत्याशी जरीना बेगम और वार्ड 30 से निर्दलीय प्रत्याशी रही रुकसाना बेगम शामिल हैं। रफीकुन शहनाज अंसारी और जरीना बेगम के बीच ननद भाभी का रिश्ता है जबकि रुकसाना बेगम रफीकुन शहनाज अंसारी की मामी सास है जो जरीना बेगम की भी रिश्तेदार हैं। इस तरह से शहर के वार्ड 23, 25 और 30 से ननद भाभी व मामी सास पार्षद की तिकड़ी बनी है।

एक ही परिवार की जीती इन तीन महिलाओं ने शहर के अलग-अलग वार्डो से चुनाव जीतकर ना सिर्फ पार्षद बनी हैं बल्कि उन्होंने अपने नजदीकी प्रतिद्धंदी रहे भाजपा प्रत्याशियों को करारी मात दी है। वार्ड क्रमांक 23 से रुकसाना शहनाज अंसारी ने भाजपा के शिवा पांडेय को 641 मतों से हराया है। वार्ड क्रमांक 25 से जरीना बेगम ने भाजपा प्रत्याशी सुधा तिवारी को 71 वोटो से हराया जबकि वार्ड 30 से रुकसाना बेगम ने भाजपा प्रत्याशी नीता को 170 वोटों से हराकर चुनाव जीता है।

गौरतलब है कि रीवा शहर की तस्वीर साफ हो गई है। महापौर पद पर अजय मिश्रा बाबा के साथ ही 45 वार्डो में से 18 में भाजपा, 16 में कांग्रेस और 11 निर्दलीय पार्षद चुनाव जीते है। इस बार भले ही भाजपा के पार्षद ज्यादा है, लेकिन नगर परिषद में दबदबा कांग्रेस का ही रहने का आसार है। खास बात यह है कि इस बार 27 महिलाएं चुनाव जीती हैं और 45 सदस्यों वाले परिषद में 23 सदस्यों की जरूरत है इसलिए निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका अहम हो जाती है।

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