हनुमान मंदिर के लिए इस मुस्लिम ने कर दी करोड़ों रुपए की जमीन दान-जानिए पूरा मामला…

  • भारत एक ऐसा देश है जहां हर कोई प्यार के साथ रहता है हर कोई एक दूसरे के धर्म की रिस्पेक्ट करता है।
  • हाल ही में एक प्यार-मोहब्बत की अनोखी मिसाल देखने को मिली।
  • बेंगलुरु के एक मुस्लिम व्यक्ति ने एक हनुमान मंदिर के पुनर्निमाण के लिए करीब 80 लाख से एक करोड़ के बीच की जमीन दान कर दी।
  • इस शख्स ने 1.5 गुंतास जमीन दान में दी है। एक एकड़ में 40 गुंतास होते हैं।

बेंगलुरु के बाहरी इलाके में बने एक हनुमान मंदिर का विस्तार करने के लिए एक मुस्लिम बिजनेसमैन ने 1634 स्क्वायर फीट जमीन डोनेट की है। इस जमीन की कीमत 80 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक आंकी जा रही है। मुस्लिम बिजनेसमैन के इस फैसले का लोग प्रशंसा कर रहे हैं।

गुड्स ट्रांसपोर्ट सर्विस का बिजनेस करने वाले एमएमजी बाशा ने देखा कि वालगेरापुरु में उनकी तीन एकड़ जमीन से सटा एक हनुमान जी का मंदिर है। इस मंदिर में लगातार भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही थी, जिसकी वजह से वहां काफी दिक्कतें सामने आ रही थीं। ट्रस्ट मंदिर के विस्तार की योजना बना रहा था, लेकिन फंड की कमी के चलते सफल नहीं हो पा रहा था। बाशा ने हनुमान मंदिर ट्रस्ट को बताया कि वे अपनी जमीन दान देने के लिए इच्छुक हैं। चूंकि, जमीन हाईवे के पास थी, इस वजह से उसकी कीमत काफी ज्यादा थी।

हालांकि, मंदिर के ट्रस्ट ने 1089 स्क्वायर फीट जमीन की मांग की थी, लेकिन बाशा से अपने परिवार से बात करने के बाद 1,634 जमीन दान दे दी। इस जमीन की कीमत एक करोड़ रुपये तक है। उन्होंने बिना किसी पैसे की यह जमीन मंदिर के ट्रस्ट को दे दी। ट्रस्ट ने एक बैनर लगाकर बाशा और उनके परिवार को धन्यवाद कहा है।

मीडिया से बात करते हुए बाशा ने कहा कि हिंदू और मुसलमान लंबे समय से एक साथ रहते आए हैं। आज विभाजनकारी चीजों की बहुत चर्चा है। अगर हम प्रगति करना चाहते हैं, तो हमें एक देश के रूप में एकजुट होने की जरूरत है। वहां के निवासियों ने उनके इस फैसले की काफी प्रशंसा की है। मंदिर ट्रस्ट द्वारा लगाए गए बाशा के कदम और फ्लेक्स बैनर नेटिजन्स और अन्य लोगों के बीच वायरल हो गए हैं

बशा जैसे लोग ही भारत बनाते हैं।

इस जमीन की लोकेशन बड़ी अच्छी है। यहां पास से ही ओल्ड मद्रास रोड भी गुजरती है। बशा का परिवार भी इससे सहमत है। बशा ने कहा, ‘आज हम हैं, कल हम रहेंगे। हमारा जीवन अनिश्चितता से भरा है। ऐसे में एक-दूसरे के खिलाफ नफरत फैलाने से क्या मिलेगा।’ यहां तक कि गांववालों ने भी बशा के इस नेक काम का पोस्टर इलाके में लगाया है। बशा जैसे लोग ही भारत बनाते हैं।

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