ईरान और इजरायल के बीच बढ़ती सैन्य तनावों के बीच, ईरान ने इजरायल को 2000 मिसाइलों से हमला करने की धमकी दी है। हाल ही में, ईरान ने तेल अवीव और इजरायल की सैन्य मुख्यालय पर 150 से अधिक मिसाइलें दागी, जिससे तीन इजरायली नागरिकों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए। इस हमले को ईरान ने “युद्ध की घोषणा” के रूप में प्रस्तुत किया है, जबकि इजरायल ने भी तेहरान पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए हैं।
भारत पर संभावित प्रभाव
1. ऊर्जा सुरक्षा और तेल की कीमतों में वृद्धि
भारत अपनी 85% से अधिक तेल आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है, और अधिकांश आपूर्ति मध्य पूर्व से आती है। यदि होर्मुज जलडमरूमध्य या लाल सागर मार्ग में कोई रुकावट आती है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे कच्चे तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल तक पहुँच सकती हैं। इससे भारत की आयात लागत बढ़ेगी, मुद्रास्फीति में वृद्धि होगी और मुद्रा विनिमय दर पर दबाव बनेगा।
2. व्यापार और निर्यात पर असर
मध्य पूर्व भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में से एक है। यदि संघर्ष बढ़ता है, तो लाल सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग प्रभावित हो सकते हैं, जिससे निर्यात लागत में 15-20% तक वृद्धि हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा
3 शेयर बाजार में अस्थिरता
वैश्विक तेल कीमतों में वृद्धि और भू-राजनीतिक तनावों के कारण भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट आई है। निफ्टी 50 और सेंसेक्स में क्रमशः 1.21% और 1.2% की गिरावट आई है, जबकि ऊर्जा, परिवहन और विमानन क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट देखी गई है।
4. खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासी और प्रेषण
भारत के लगभग 90 लाख नागरिक खाड़ी देशों में काम करते हैं। यदि संघर्ष बढ़ता है, तो इन देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है, जिससे भारतीय प्रवासियों की आय और प्रेषण में कमी आ सकती है। यह भारत की विदेशी मुद्रा भंडार और घरेलू खपत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।