आवारा पशु हादसों का कारण तो बनते ही है, लेकिन आपस में लड़ाई होने पर हादसों का खतरा भी रहता है।आवारा पशुओं की समस्या शहर में लंबे समय से है।
हरियाणा सरकार ने पिछले साल गोवंश को सड़कों से हटाने का काम शुरू किया था।
करीब करीब 55 हजार पशु अब भी सड़कों पर हैं और लोगों की जान की दुश्मन बने हुए हैं..
कई प्रयासों के बावजूद सरकार लावारिस पशुओं पर लगाम लगाने में नाकाम रही है। आए दिन लावारिस पशुओं की वजह से आम लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। बीते दो महीने के भीतर लावारिस पशुओं की वजह से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। पूरे राज्य में करीब 80 हजार लावारिस पशु हैं। इनमें अब तक सरकार 25 हजार पशुओं को गौशाला में भेजने में कामयाब हो पाई है। करीब करीब 55 हजार पशु अब भी सड़कों पर हैं और लोगों की जान की दुश्मन बने हुए हैं। सरकार का दावा है कि इन पशुओं को गौशाला में भेजने का काम जारी है। नगर निगम को पशु पालकों को चेतावनी देने और गौवंश को पकड़कर गौशाला भेजने के निर्देश दिए थे लेकिन इसके बाद कोई सख्ती नहीं हुई। आवारा पशुओं की समस्या पहले की तरह बनी हुई है। शहर के मुख्य चौराहों पर दिनभर आवारा पशु बैठे रहते है।
प्रशासन व नगर निगम इस ओर आंखे मूंदे बैठा है…
गायों व आवारा पशुओं के जमावडे के कारण वाहन चालक व यहां के निवासी काफी परेशान है। इन आवारा पशुओं के कारण कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है लेकिन प्रशासन व नगर निगम इस ओर आंखे मूंदे बैठा है। गायो का झुंड सड़कों पर बैठ देखा जा सकता है जिसके कारण सड़क से निकलने वाले वाहन चालको को परेशानी उठानी पड़ती है। कई बार तो ये पशु अचानक वाहनों के सामने आ जाते हैं जिससे वाहन चालक अपना संतुलन खो बैठता है और दुर्घटना का शिकार हो जाता है।
सड़क और सार्वजनिक स्थलों पर मंडराते आवारा पशु लोगों की जान के लिए खतरा बन गए हैं. लोगों ने प्रशासन से इन आवारा पशुओं को पकड़कर गोशाला या जंगल में छोड़ कर समस्या का हल जल्द से जल्द निकालने की मांग की है,निजी एजेंसी को ठेका नगर परिषद जल्द ही आवारा घूमने वाली गाय को पकड़ने का ठेका छोडेगी. यह जिम्मेदारी निजी एजेंसी को कम से कम छह तक के लिए देगी. जिससे शहर मे से आवारा घूमने वाले पशुओं को खात्मा हो सके, फिलहाल देखना है कि वादे में कितनी सच्चाई है!
रिपोर्ट:-अमित कुमार सिन्हा