बोले कर्मी हमें ओपीएस ही चाहिए, यूपीएस, किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं -धर्मेन्द्र प्रधान
हम अपना पैसा सरकार को खाने नहीं देंगे किसी भी हाल मे – तरुण भोला
सहारनपुर :
केंद्र सरकार ने शनिवार को नई पेंशन व्यवस्था लागू करने की बात कही है। इस स्कीम को नाम भी नया दे दिया गया है। मतलब, यह नाम ओपीएस और एनपीएस से जुदा है। नई स्कीम का नाम यूनिफाइड पेंशन स्कीम ‘यूपीएस’ रखा गया है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस स्कीम को मंजूरी भी दे दी है। इस स्कीम में 25 साल काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों को पूरी पेंशन मिलेगी। यानी किसी कर्मचारी ने न्यूनतम 25 साल तक नौकरी की है तो उसे रिटायरमेंट के तुरंत पहले के अंतिम 12 महीने के औसत वेतन का कम से कम 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा। यूनिफाइड पेंशन स्कीम में 10 साल की नौकरी करने के बाद कर्मचारी को कम से कम 10 हजार रुपये पेंशन के तौर पर मिलेंगे। दूसरी तरफ केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने नई पेंशन स्कीम ‘यूपीएस’ पर केंद्र व राज्य संगठनों के पदाधिकारीयों ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। दानिश सिद्दीकी जिलामंत्री उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ ने कहा की ये सरकार ने कर्मचारी वर्ग के साथ छल किया है। किसी भी सूरत में यूपीएस मंजूर नहीं होगा। वे गारंटीकृत ‘पुरानी पेंशन बहाली’ के लिए दोबारा से हल्लाबोल की तैयारी में जुट गए हैं। केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्यों के कर्मचारी संगठन, जो ओपीएस के लिए आंदोलन कर रहे थे, वे जल्द ही अपनी आगामी रणनीति का खुलासा करेंगे। यूपीएस में सरकार ने अपने कंट्रीब्यूशन, जो अभी तक 14 प्रतिशत था, उसे बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया है। यहां तो सब ठीक है। यह बात काबिले तारीफ भी है, लेकिन हमारी मांग रिटायरमेंट पर 50 प्रतिशत बेसिक सेलरी और डीए अलाउंस के बराबर की थी, न कि कंट्रीब्यूशन घटाने या उसे बढ़ाने की। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ जनपद अध्यक्ष धर्मेंद्र प्रधान ने कहा की हमारा स्टैंड क्लीयर है। सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस ही चाहिए। यूपीएस, किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। सरकार की इस नई स्कीम को लेकर कॉन्फेडरेशन, जल्द ही बैठक करेगा। उसमें आगामी रणनीति की घोषणा की जाएगी। ये क्लीयर है कि कर्मचारियों को ओपीएस के अलावा कुछ मंज़ूर नहीं। जब की अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने प्रधानमंत्री मोदी और जेसीएम के प्रतिनिधियों की बैठक का बहिष्कार किया था। वजह, सरकार ने ओपीएस को लेकर कोई भी सकारात्मक बयान नहीं दिया का। सरकार अपनी बात पर ही अड़ी रही। नतीजा, सरकार ने ओपीएस पर आंदोलन करने वाले कर्मचारी संगठनों की राय लिए बिना ही यूपीएस को लागू करने की बात कह दी। अब दोबारा से आंदोलन शुरु होगा।