आज़ाद भारत की भूली गाथा।

यह दीवानगी है मुसलमानों की। मदरसों से जोक दर जोक तिरंगा यात्रा निकाली गई। सड़कों पर वाहलाना अंदाज में हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए मदरसे के प्रबंधक, आचार्य वा मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे हाथों में तिरंगा लिए, तख्तियां लिए सफबंदी के साथ कौमी तराना गाते हुए जा रहे और राहगीर उनकी वीडियो बना रहे हैं !

ताकि अपने ग्रुप्स में मदरसों की देशभक्ति की तस्वीर पेश कर सके। सही मायनों में देखा जाए तो देश की आज़ादी की शुरुआत मदरसे के उलेमा किराम ने ही 1857 से पहले ही कर दी थी अंग्रेजो की ज़ालिमाना हकूमत के खिलाफ जिहाद वा मुखालिफत की सदा सबसे पहले इन उलेमा किराम ने लगाई और अंग्रेजो के खिलाफ पूरी शिद्दत से पूरी उम्म्त मुस्लिमा खड़ी हो गई और इसका नतीज़ा यह हुआ कि अंग्रेजो का मुसलमानों के खिलाफ दमन पूरी ताकत के साथ किया गया हजारों उलेमाओं को सूली पर लटकाकर शहीद कर दिया गया, लाखो क़ुरान करीम जला दिए गए।

मुसलमानों की जायदादो को कुर्क कर दिया गया, बेशुमार लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया, बात बात पर देशद्रोही बताया जाता था, मुकदमा क़ायम कर गिरफ्तार कर लिया जाता था, घर से बेघर कर दिया जाता था, गोली मार दी जाती थी। मगर आज़ादी के लिए मुसलमानों की दीवानगी बढ़ती ही जा रही थी और उसी हिसाब से अंग्रेजो का दमन।

आज भारत का इतिहास उन आज़ादी के मतवालों के बगैर लिखने की कोशिश की जा रही है जोकि सरासर नाइंसाफी है और नई नस्लों के साथ धोखा है। आज़ादी की लौ जलाने वाले मरदे मजाहिदो को भूलकर भारत की आज़ादी का तसव्वुर महज़ एक फरेब हैं और इसके लिए खुद मुसलमान भी ज़िम्मेदार हैं क्योंकि उनहों ने भी कभी इस आज़ादी के इस पहलू पर गौर ही नही किया, अपने मुजाहिद्दो को उस शिद्दत से याद ही नहीं किया कि कौम को भी याद रह जाता कि हमारी आजादी के अलंबरदार कौन है।

आज़ादी के 76 वे साल में मदरसों में आज़ादी और देशभक्ति के लिए जो जज़्बा और शिद्दत देखी गई अगर यही शिद्दत शुरू से ही इख्तियार करते तो मुसलमानों की आज़ादी के लिए दी गई कुर्बानी को फरामोश नही किया जा सकता था और न ही देश की वफादारी का सबूत देने की जरूरत पड़ती।

शायद यह एहसास हमें पहले नही था या अब हालात की मजबूरी है वरना मुसलमान पहले भी देश भक्त थे और आज भी है। आज चंद्र यान की कामयाबी में इनका योगदान और शिद्दत इनकी अपने मुल्क की प्रति मुहब्बत साबित करती हैं कि मुसलमानों में भारत को एक उन्नत देश बनाने में अपनी पूरी मेहनत और योगदान दिया है। यह कौम सिर्फ और सिर्फ अपने माबूद हकीकी से मांगती हैं और उम्मीद करती हैं।

“जो मिल गया उसी को मुक्कदर समझ लिया।
जो खो दिया उसी को भुलाते चले गए।”

आज चंद्र यान की कामयाबी पर भारत की तमाम नागरिकों को दिली मुबारकबाद।

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