सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को कड़ी और बड़ी फटकार,आपने पुरे देश को बंद कर के रखा हुआ था!

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को लोन मोरैटोरियम के अंदर ब्याज छूट की मांग की याचिका पर सुनवाई की।लोन मोरेटोरियम की अवधि में ब्याज पर से छूट के मामले में केंद्र सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला लंबे समय से लटका है। कोर्ट ने केंद्र से इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह समस्या ही आपके लॉकडाउन से उत्पन्न हुई है। कोर्ट ने कहा कि यह केवल व्यवसाय पर विचार करने का समय नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को लोगों की दुर्दशा के बारे में भी सोचना चाहिए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को 1 सितंबर तक के लिए टाल दिया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘एक ही समाधान सभी के लिए नहीं हो सकता है।’ कोर्ट ने कहा, ‘आप केवल व्यवसाय में रुचि नहीं ले सकते हैं, लोगों की पीड़ाओं के बारे में भी जानना होगा।’मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण ने कहा, ‘यह समस्या आपके (केंद्र सरकार) के लॉकडाउन की वजह से बनी है। यह व्यवसाय के बारे में विचार करने का समय नहीं है। लोगों की दुर्दशा के बारे में भी विचार करना होगा। आपको दो चीजों पर अपना रुख साफ करना होगा: आपदा प्रबंधन अधिनियम और क्या ब्याज पर ब्याज का के बारे में हिसाब।

इस मामले में याचिकाकर्ता की मांग थी कि 27 मार्च को जारी आरबीआई अधिसूचना के कुछ हिस्से को रद्द कर दिया जाए ताकि ब्याज माफ किया जा सके। उन्होंने कहा कि ब्याज संविधान के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार में कठिनाई, बाधा और आपत्ति पैदा करता है। आरबीआई ने पहले अदालत को बताया था कि टर्म लोन के मोरेटोरियम के दौरान ब्याज माफी नहीं हो सकती क्योंकि इस तरह के कदम से बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य और स्थिरता को खतरा पैदा होगा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के ‘आरबीआई के पीछे छुपने’ की प्रतिक्रिया पर मेहता ने जवाब दिया कि माय लॉर्ड आप यह नहीं कह सकते हैं। हम आरबीआई के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

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