प्लास्टिक टंकी बना बन्दर का आशियाना-दर्शक आस लगाए बैठे हुए है पानी की एक बूंद बूंद के लिए….

बाल्मीकिनगर ऊपरी शिविर पर पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों के हित में सोलर ऊर्जा पेय जल प्लांट का निर्माण कार्य किया गया है लेकिन अफसोस की बात है कि कई वर्ष बीत चुके है लेकिन पानी का बूँद भी नसीब नहीं हुआ ग्रामीण एवं राहगीरों को।
जहां लाखों लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया सोलर पावर प्लांट पेयजल की सुविधाएं के तैयार किया गया और प्लास्टिक टँकी के ऊपर बन्दरों का झुंड आने जाने का सिलसिला एवं उछल कर करते हुए देखा जा रहा है।
बाल्मीकिनगर स्थित ऊपरी शिविर पहाड़ पर पेयजल समस्या से काफ़ी ग्रामीण दुखी हैं जबकि ऊपरी शिविर पर सरकारी अतिथि भवन भी गण्डक बराज कार्यालय का बना हुआ लेकिन किसी भी अधिकारी का ध्यान आकर्षित नहीं होता हैं।
बाल्मीकिनगर स्थित तीन नम्बर पहाड़ जिससे आसपास के कई गांवों में अंधेरा छा जाएगा । इसी बात की आशंका से ग्रामीण इसे बचाने के लिए सरकार का ध्यान आकृष्ट करने की चेष्टा कर रहे है। बतादें की गत दिनों बाढ़ की चपेट में आकर प्लांट को खासा नुकसान हुआ है। पानी उतरने के बाद इन दिनों 2 मेगावाट बिजली आपूर्ति हो रही है। स्थानीय ग्रामीणों ने इसके समीप बांध के निर्माण की मांग की है। कोरोना काल में बेरोजगार लोगों को प्लांट में रोजगार की उम्मीद है। बाल्मीकिनगर स्थिति जल समस्या को दूर अब ठेकेदार द्वारा नहीं किया गया है और सबसे बड़ी बात है कि ठेकेदार द्वारा योजना के बारे में अब तक बोर्ड नहीं लगाया गया है जिससे कि दूरभाष पर सम्पर्क करने के साथ ही किस विभाग के द्वारा सोलर प्लांट लगाने के साथ ही तीन नम्बर पहाड़ ऊपरी शिविर पर जल समस्या समाप्त होने के साथ ही ग्रामीण व्यक्ति ने बताया कि हमलोगों को मालूम हो रहा है भगवान को प्यारे हो गए ठेकेदार संग सरकारी कार्यालय भी बोरियां-बस्ती बांध कर फरार हो गए हैं तभी तो सोलह ऊर्जा पेयजलापूर्ति आपूर्ति लगभग दस वर्षों से नही मिल रहा है ग्रामीणों को।

पश्चिम चंपारण-बिहार

जिला रिपोर्टर-राजेश पाण्डेय

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