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विदेश में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को लगा बड़ा झटका,अब सिर्फ इनको ही मिलेगी भारत मे मान्यता…..

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने विदेशों से मेडिकल डिग्री लेने वालों के लिए कड़े नियमों को मंजूरी दे दी है। नये नियमों के तहत विदेशों से सिर्फ अंग्रेजी माध्यम से मेडिकल की पढ़ाई करने वालों की डिग्री को ही देश में मान्यता दी जाएगी। सरकार के इस फैसले से रूस और चीन में मेडिकल शिक्षा के लिए जाने वाले छात्रों को बड़ा झटका लगेगा। इन देशों में प्रतिवर्ष 10 हजार से अधिक छात्र मेडिकल की शिक्षा के लिए जाते हैं। इनमें से ज्यादातर रसियन और चीनी भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई करते हैं। नये नियम लागू होने के बाद ऐसी डिग्री को देश में मंजूरी नहीं मिलेगी।

एनएमसी ने विदेशी आयुर्विज्ञान स्नातक लाइसेंसिट नियमावली 2021 अधिसूचित की है, जिसमें कई नये प्रावधान जोड़े गए हैं। मेडिकल की पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी होने के साथ-साथ कई और मानक भी तय किए हैं। जैसे मेडिकल कोर्स की कुल अवधि 54 महीने से कम नहीं होनी चाहिए। कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों को उसी संस्थान में 12 महीने की इंटर्नशिप करनी अनिवार्य होगी। अभी दूसरे संस्थानों में भी कर लेते थे। मेडिकल में पढ़ाए जाने वाले विषयों की एक सूची भी एनएमसी ने तैयार की है जो भारत में पढ़ाए जाने वाले विषयों के अनुरूप है। एनएमसी ने कहा कि वह जरूरत पड़ने पर पढ़ाए गए विषयों की समीक्षा भी कर सकता है।

नये नियमों के तहत छात्रों को वापस आने के बाद देश में फिर से 12 महीने की इंटर्नशिप करनी होगी। इसके साथ ही एग्जिट टेस्ट या इसके समकक्ष परीक्षा पास करनी जरूरी होगी। इसके बाद ही उन्हें डॉक्टरी करने के लिए देश में स्थायी पंजीकरण दिया जाएगा।

इन शर्तों का भी पालन करना होगा
एनएमसी ने इसके साथ कई और शर्तें भी जोड़ी हैं, जो मेडिकल जिस देश में छात्र कर रहे हैं, वहां भी उस कोर्स को डॉक्टरी के लिए मंजूरी होनी आवश्यक है। यानी यदि कोई छात्र चीन से मेडिकल की डिग्री लेकर भारत में लाइसेंस के लिए आवेदन करता है तो वह चीन में भी मेडिकल लाइसेंस पाने के योग्य होना चाहिए। एनएमसी ने कहा कि विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों को किसी भी रूप में मेडिकल की डिग्री पूरी करने में दस साल से अधिक का वक्त नहीं लगाना होगा।

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