इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि–शाही ईदगाह विवाद में हिंदू पक्ष की याचिका को अस्वीकार कर दिया है, जिसमें मांग थी कि शाही ईदगाह मस्जिद को “विवादित ढांचा” घोषित किया जाए। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि वर्तमान में मस्जिद को विवादित मानने का कोई आधार नहीं है। इससे हिंदू पक्ष को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि मस्जिद को विवादित घोषित किए बिना आगे की कानूनी लड़ाई प्रभावित होगी
फैसला क्यों अहम है?
- कानूनी महत्व: मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ घोषित करने से उस पर आगे की कार्यवाही आसान होती, जैसे सर्वेक्षण या हटाने की मांग। अब यह मार्ग अवरुद्ध हो गया है ।
- मस्जिद का वैधानिक संरक्षण: हाई कोर्ट के निर्णय से मस्जिद को फिलहाल विधिक रूप से सुरक्षित माना जाएगा, जो कि हिंदू पक्ष के लिए बड़ा सम्माननीय झटका है ।
आगे क्या होने की संभावना है?
- नई सुनवाई तिथियाँ: सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में अब सुनवाई कार्यक्रम तैयार किया जाएगा, जिसमें सभी संबंधित याचिकाएँ शामिल होंगी।
- संवहनीय मुकदमे: याचिकाओं का समेकन (consolidation) जैसे हाई कोर्ट ने पहले किया था, आगे भी विधिक दृष्टि से इस्तेमाल हो सकता है—SC स्तर पर भी।
- ASI की भूमिका: केंद्र और ASI को पक्षकार बनाने से इनके विश्लेषण-क्षितिज के दायरे में आंकलन संभव होगा—जैसे साइट सर्वे से जुड़े सवाल।
- अदालतों में प्रमाण: धार्मिक-ऐतिहासिक दावों को न्यायालय में तय करने के लिए अब स्थूल सबूत, दलिलें, सर्वे रिपोर्टें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।