डॉक्टर्स डे पर विशेष: हम और हमारा डॉक्टर डे _ डॉ स्वर्णजीत सिंह….

हम और हमारा डाक्टर्स

सभी साथियों ,सहयोगियों को डॉक्टरर्स डे की शुभकामनाएं । हम सब इस दिन को अपनी उपलब्धियों , जिम्मेदारियों और समाज के प्रति अपने दायित्व को याद करते हुये मनाते हैं । समाज भी इसमें अपनी भागीदारी करता है और डॉक्टर्स का समाज के प्रति लगन , सहयोग , त्याग को समझता हुआ डॉक्टर्स को सम्मानित करता है , उन्हें मान-सम्मान देता है ।

हम डॉक्टर्स आज वर्तमान समय में बहुत दुविधा में हैं । एक ओर काम का बोझ , जिम्मेदारी , दायित्व , कर्तव्य और दूसरी ओर हमारे प्रति समाज का बदलता नजरिया । इसमें कोई शक नहीं की हर ओर गिरावट है । समाज के प्रत्येक स्तंभ को दीमक लग रही है । कहीं ज्यादा कहीं कम । कोई भी अछूता नहीं है । यह समाज का दुर्भाग्य है और यह ताना बाना कब धराशायी होकर गिर जाए , किसी को भी अंदाजा नहीं है ।

व्यक्तिगत स्तर पर इसको संभालने का प्रयास हर डॉक्टर कर रहा है और करता भी रहेगा । लेकिन
** क्या सामूहिक प्रयास की जरूरत नहीं है ?
** क्या यह कह देने से कि यह समस्या है तो , लेकिन हम क्या कर सकते हैं ? यह तो पूरे देश में हो रहा है । हर तरफ हो रहा है ।

  • * हम क्या. कर सकते हैं.? हमारे पास कोई लीगल अथॉरिटी नहीं है ।
    ** क्या हमारे द्वारा ,मंच स्तर पर , अपने अंदर व्याप्त कुरीतियों को एक सिरे से , यह कहकर नकार देना कि ऐसा कुछ भी नहीं होता है , ना राष्ट्रीय स्तर पर और ना ही स्थानीय स्तर पर ,ठीक है?
    ** क्या यह कह कर कि कुछ डॉक्टर्स विशेष रिसिविंग एंड पर हैं , हम समस्या को छुपा तो नहीं रहे हैं ? उससे मुंह तो नहीं मोड़ रहे हैं ?

शायद हम समस्या का सामना करने को तैयार नहीं हैं । बाहर का कोई व्यक्ति जैसे मोदी जी या आमिर खान जी जब हमें इस गंदगी की ओर ध्यान दिलाते हैं , तो हम उसे अपने कुएँ पर हमला मान लेते हैं । उनका इरादा भी शायद कोई सुधार का नहीं है ? यदि वे इस गंदगी के प्रति संवेदनशील होते ,गम्भीर होते या अपनी जिम्मेदारी समझते , तो वे बंद कमरे में बैठकर मित्रता पूर्वक माहौल में बात करते ।

 हमारा कुआं हमें खुद ही साफ करना होगा ताकि हम अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा , मान सम्मान  प्राप्त कर सकें  । समाज के प्रतिे दायित्व को समझ सकें और उसे पूरा कर सकें ।

इसमें कोई दो राय नहीं कि व्यक्तिगत स्तर पर हम हमेशा ऐसा करते ही रहते हैं लेकिन अब समय आ गया है जब सामूहिक प्रयास की जरूरत है । सब के द्वारा सबके लिए प्रयास की जरूरत है ।

ऐसा नहीं है कि हम कुछ कर ही नहीं सकते या हालात काबू से बहुत बाहर हैं । हम सौ दिये नहीं जला सकते हैं तो कम से कम पहला तो स्थानीय स्तर पर जलाएं ।

ठीक है कमी सरकार में भी है । कुछ कमियां पब्लिक की तरफ से भी हैं । हम पहले अपनी कमियों को तोे देख लें । उन्हें सुधारना तो हमारे बस में है । हम क्यों मृग मरीचिका की तरह भटक रहे हैं । अपनी कमियां सुधार ले तो फिर दूसरों के सामने ओर भी अधिक मजबूती ,विश्वास ,एकता ,अधिक आत्मबल के साथ अपनी बात रख पाएंगे , कह पाएंगे , समझा पाएंगे । अन्यथा बेकार ही मृगमरीचिका में भटक रहे हैं । स्थिति विकट होती जा रही है , परेशानी बढ़ती जा रही है ,दुविधा बढ़ती जा रही है ।
यह विकट स्थिति , हो सकता है हमारे व्यक्तिगत जीवन को बहुत अधिक प्रभावित ना कर रही हो लेकिन चिकित्सा जगत के सम्मान को धरातल की ओर ले जा रही है बड़ी तेजी से । हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या देना है ? कौन सी स्थिति देनी है ? यह आज हमें डॉक्टर्स डे पर बड़ी गंभीरता पूर्वक सोचना चाहिए ।

आई . एम . ए . स्तर पर हमें लीगल अथॉरिटी नहीं चाहिए । हमें चाहिए बस थोड़ा आत्मविश्वास , कुछ भरोसा , थोड़ा सा आपसी सहयोग ,अपने अंदर झांकने की क्षमता और थोड़ी चिंता भावी पीढ़ी के लिए , चिन्ता आमजनके लिए , जिनके लिए ईश्वर द्वारा यह कार्य हमें सौंपा गया है ।
यदि विश्व का सर्वाधिक शिक्षित वर्ग जिसे सोसायटी का लीडर कहा जाता है , जिसे भगवान के बराबर बताया जाता है ,बंद कमरे में अपनी स्थिति के बारे में , अपने अंतर्मन के बारे में विचार करने को तैयार नहीं तो फिर समाज में गिरावट कोई नहीं रोक सकता और उस गिरावट का असर झेलने के लिए हम भी अपने आप को तैयार कर लें । हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी क्योंकि इस गिरावट और विकट स्थिति के लिए हम जिम्मेदार हैं ।

आइये हम सब.इस दिन मिल कर ईश्वर से प्रार्थना करें ::;

“हे ईश्वर आपने हमें यह जो सामाजिक ताने बाने में HEALER and GIVER का कार्य सौंपा है ,,हम इसे अपने विवेक ,क्षमता द्वारा बिना किसी डर या विघ्न के कर सकें ,करते रहें ,इतनी शक्ति आप हमें देना “

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