संवाददाता जीके कुर्रे जिला सक्ति cg
जिन्दगी की गतिशीलता में यायावरी एक विराम के साथ विश्राम भी है जो हमें पुनर्उर्जित करता है…अधिवक्ता चितरंजय पटेल
आज रोजमर्रा के भागदौड़ वाली जिन्दंगी में ठहराव अपरिहार्य है इसी ध्येय को दृष्टिगत रखते हुए धीरे चलें…शांत चलें के मानस के साथ जॉगिंग की लोकप्रियता बढ़ने के बाद 1979 में डब्ल्यूटी रेव ने World Sauntering Day अर्थात विश्व सौर सपाटा(भ्रमण) दिवस की शुरुआत किया। इसमें अंतर्निहित भाव स्पष्ट था कि लोग धीमे चलें और अपने आस-पास की दुनिया का अनुभव करें और प्रकृति की खूबसूरती का आनंद लेकर सराहना करें, यह विचार आज भी इसलिए सामयिक है क्योंकि आज के गतिशीलता के बीच लोगों के पास अपने और अपने आसपास के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं रहा और उनमें आनंदमजा की बात ही नहीं रही… और व्यक्ति तनाव और अवसाद की जिंदगी गुजार रहा है। तब फिर लोग शांति की तलाश में साधु , संत महात्माओं के आश्रमों को ताक रहे हैं तो चिंतन सामने आता है कि प्रतिदिन के भागमभाग से परे जिंदगी में एक जरूरी विराम और विश्राम है यायावरी अर्थात घिसीपिटी उबाऊ जिंदगी में यायावर याने साधुसंतों की तरह भ्रमण करते हुए प्रकृति का साथी बन वृक्ष, पक्षी जीवजंतुओं को निहारना, उनमें खो जाना और आनंद सागर में डुबकी लगाते हुए खुद को भी जानने का अभ्यास ही वक्त की मांग है।
वस्तुतः आज हम धनअर्थ की चाह में इतने व्यावसायिक हो चुके हैं कि हम व्यवसाय के अलावा न स्वयं को देखते हैं और न ही परिवार को देखते हैं जिससे जीवन से खुशियां गायब सी हो गई है…और नतीजतन मन में अनायास अपने आप जीवन से पलायन की भाव जागने लगता है। इस संबंध में वैज्ञानिक शोध भी इंगित करते हैं कि एक ही तरह की जिंदगी जीतेजीते व्यक्ति उब सा जाता है क्योंकि एक ही दिनचर्या से व्यक्ति का तनमन दोनों थकान महसूस करते हैं इसलिए तनाव और अवसाद से बचने के लिए सैरसपाटा (भ्रमण) ही सही उपाय है या दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि गतिशील जिन्दगी में यायावरी एक विराम है और विश्राम भी है जो हमारे भीतर नई ऊर्जा भर देता हैं या कहें भ्रमण के बाद हमारा शारीरिक तंत्र पुनर्जीवित हो जाता है।
आज विश्व भ्रमण दिवस पर सबको संकल्प लेने की आवश्यकता है कि जीवन की आपाधापी से परे कुछ पलों के लिए प्रकृति से जुड़ जाएं… शांत हो जाएं…और पूरेतन मन से प्रकृति की सुंदरता को भोगें…और विश्व विख्यात दार्शनिक आचार्य रजनीश के भोगभक्तिमुक्ति का सिद्धांत भी यही कहता है कि सुंदरता को निहारते हुए उसके प्रशंसा व भक्ति में लीन हो जाएं तो निश्चित रूप से कुछ पलों के लिए ही सही इस जीवन के नकारात्मकता से मुक्त हो जाएंगे। आप सभी को विश्व भ्रमण दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं कि भागमभाग के बजाय भ्रमण करें…
चितरंजय सिंह पटेल अधिवक्ता उच्च न्यायालय, बिलासपुर