अज़ीज़ अहमद
पुरकाजी मुजफ्फरनगर
बुढ़ाना में पत्रकार पर जानलेवा हमला, संयुक्त पत्रकार महासभा का फूटा आक्रोश, सौंपा ज्ञापन
मुजफ्फरनगर, 15 मई।
पत्रकारिता को दबाने और सच्चाई को कुचलने की एक और शर्मनाक घटना सामने आई है। किदवई नगर निवासी स्वतंत्र पत्रकार वसीम पर कुछ दबंगों ने सुनियोजित ढंग से जानलेवा हमला कर दिया। यह हमला न केवल एक पत्रकार पर, बल्कि पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर कुठाराघात है।
घटना की जानकारी मिलते ही संयुक्त पत्रकार महासभा का एक प्रतिनिधिमंडल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिला और इस हमले के विरोध में जमकर नाराज़गी जाहिर की। महासभा ने मांग की है कि—
“ऐसे तत्व जो पत्रकारों को डराकर, धमकाकर या मारकर चुप कराना चाहते हैं, उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया जाए। पत्रकारिता को कुचलने का यह प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
संयुक्त पत्रकार महासभा ने इस पूरी घटना को गंभीर साजिश करार देते हुए कहा कि कुछ ताकतें पत्रकारों की निष्पक्ष और निर्भीक रिपोर्टिंग से भयभीत हैं। इसलिए अब वे हिंसा का रास्ता अपना रही हैं। पत्रकार वसीम पर यह हमला लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को गिराने की कोशिश है।
क्या कोई नहीं देख रहा कि कलमधारी पर छुरा चलाया गया है? क्या सच लिखने की सजा अब मौत है?
बुढ़ाना कोतवाली क्षेत्र में हुई इस घटना को लेकर पुलिस की चुप्पी और धीमी कार्रवाई ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्यों अब तक हमलावर खुलेआम घूम रहे हैं?
संयुक्त पत्रकार महासभा ने दो टूक कहा—
“यदि 48 घंटे के भीतर हमलावरों की गिरफ्तारी नहीं होती तो जिलेभर के पत्रकार सड़कों पर उतरेंगे, थानों का घेराव करेंगे और लोकतंत्र को जागृत करने का अभियान छेड़ देंगे।”
इस हमले ने पूरे पत्रकार समुदाय को झकझोर दिया है। यह केवल एक व्यक्ति की सुरक्षा का मामला नहीं, बल्कि पूरे मीडिया जगत की गरिमा, स्वतंत्रता और अस्तित्व की लड़ाई है।
अब सवाल सीधा है—क्या न्याय मिलेगा या फिर एक और पत्रकार की आवाज़ अंधेरे में खो जाएगी संयुक्त पत्रकार महासभा प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर तक सैकड़ों कार्यकर्ता पदअधिकारी मौजूद रहे