संजीव सिंह का बयान किसानों की धान और सरसों की फसल पूरी तरह बर्बाद….

फसल के नुकसान का मुआवजा दिलाए जाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे किसान

बेमौसम बरसात से हुए फसलों के नुकसान के कारण किसान भुखमरी के कगार पर हैं

मथुरा। राष्ट्रीय नेता, इंडियन नेशनल कांग्रेस एआईसीसी पर्यवेक्षक प्रभारी, बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, सदस्य इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट्स सचिव, कांग्रेस किसान एवं औद्योगिक प्रकोष्ठ, कानूनी सलाहकार सदस्य, चुनाव प्रचार समिति बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल और आसाम एवं लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री पद के दावेदार ठाकुर संजीव कुमार सिंह ने पत्रकार वार्ता में कहा कि उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में किसानों की धान और सरसों की फसल बेमौसम बरसात के कारण लगभग पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। किसान फसल के नुकसान का मुआवजा दिलाए जाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक प्रशासनिक अधिकारी फसलों के नुकसान का आंकलन करने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं,बरसात से हुए फसलों के नुकसान के कारण किसान भुखमरी के कगार पर हैं। जनपद में गत दिनों अचानक दो दिन हुई तेज बरसात ने किसानों की फसलों को चौपट कर दिया है। अच्छी फसल होने की उम्मीद कर रहे किसानों के सपनों पर बारिश ने पानी फेर दिया। जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में किसानों की धान और सरसों की फसल लगभग पूरी तरह बर्बाद हो गई है। विपक्षी राजनैतिक दलों एवं पीड़ित किसानों द्वारा लगातार सरकार से फसल की नुकसान का मुआवजा दिलाए जाने के लिए सरकार से गुहार लगाई जा रही है लेकिन अभी तक प्रशासनिक अधिकारी फसलों के नुकसान का आंकलन करने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। जनपद की मांट विधानसभा के नौहझील विकास खंड की ग्राम पंचायत हसनपुर में भी बेमौसम हुई 36 घंटे की बारिश ने किसानों को बर्बाद करके रख दिया है। किसानों ने 20 अक्टूबर को धान की फसल में अत्यधिक पानी होने के चलते किसान फसल बचाने के प्रयास में जुट गए। बरसात के चलते खेतों में खड़ी धान की फसल पूरी तरह गिर गई है। वहीं कटी फसल पानी में डूब कर सड़ने के कगार पर है। गांव हसनपुर के किसान ने बताया कि बारिश के चलते फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। खेती करने के लिए जमीन पट्टे पर ली थी। पट्टे का किराया 8000 रूपए प्रति बीघा के हिसाब से साहूकारों से ब्याज पर लेकर खेत मालिक को दे चुके हैं, लेकिन अब हमारी फसल पानी में सड़ रही है और अंकुरित होने लगी है, उन्होंने राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार से सहायता राशि की अपील की है। उन्होंने अपनी फसल को बचाने का काफी प्रयास किया लेकिन यह प्रयास नाकाम साबित रहे। उनके खेत में एक से डेढ़ फीट पानी भरा हुआ है, लेकिन इसी पानी में से फसल बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पानी में से होकर सड़ी-गली फसल को लेकर घर जा रहे हैं। देखते हैं कितनी फसल को बचा पाते हैं। खेत में भरे हुए पानी को नाली के द्वारा निकालने का प्रयास किया लेकिन अन्य किसानों ने नहीं निकालने दिया। जिससे खेतों में भरा पानी नहीं निकल पा रहा है और फसल को नुकसान हो रहा है। कमोबेश यही हाल अन्य किसानों का भी है। बेमौसम बरसात से हुए फसलों के नुकसान के चलते किसान भुखमरी के कगार पर हैं। गांवों के अन्य किसानों ने प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों एवं राज्य और केंद्र की सरकार से फसलों के नुकसान का आंकलन करते हुए मुआवजे की मांग की है। जिससे किसानों के परिवारों का जीवन यापन भली भांति हो सके और उन्हें किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े।वहीं,बरसात से हुए फसलों के नुकसान के कारण किसान भुखमरी के कगार पर हैं।

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