नई दिल्ली, 20 मई 2025 —
स्वामी प्रसाद मौर्य ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की वैधता और प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल उठाते हुए इसे “राजनीतिक स्टंट” करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि इस ऑपरेशन में पाकिस्तान में कोई भी आतंकवादी मारा नहीं गया और इसे केवल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
मौर्य ने केंद्र सरकार की नीति और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ योजना पर भी आपत्ति जताई और इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया। उनके अनुसार, इस तरह की योजनाएं जनता को गुमराह करने और सत्तारूढ़ दल को लाभ पहुंचाने के लिए लाई जा रही हैं।
मौर्य ने यह भी आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में लगातार पिछड़ी जातियों के लोगों की हत्याएं हो रही हैं, लेकिन सरकार इन मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी की नीयत और नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार समाज के दबे-कुचले वर्गों की भलाई के बजाय दिखावे और प्रचार-प्रसार में अधिक रुचि रखती है।
वहीं, भारतीय सेना और सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को पूरी तरह सफल बताया है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इसमें जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय ‘मरकज सुभान अल्लाह’ सहित कई आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया गया।
भाजपा ने दावा किया है कि इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ अजहर मारा गया है, जो कंधार हाईजैक, पठानकोट और संसद हमले में शामिल था।
इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। भाजपा नेताओं ने मौर्य के बयान को “राष्ट्रविरोधी” और “सेना के मनोबल को गिराने वाला” बताया है। वहीं, विपक्षी दलों ने सरकार से ऑपरेशन की पारदर्शिता और साक्ष्यों की मांग की है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर देश में राजनीतिक बहस तेज हो गई है, जिसमें एक ओर सरकार इसे आतंकवाद के खिलाफ बड़ी सफलता बता रही है, वहीं विपक्ष इसे राजनीतिक लाभ के लिए किया गया कदम मान रहा है।