- पायलट खेमे के असंतुष्ट विधायकों को भी मंत्री बनाया जा सकता है।
- खबर है कि इसके लिए गहलोत अपने समर्थक मंत्रियों को इस्तीफा भी दिलवा सकते हैं।
- कांग्रेस पार्टी में पायलट सहित कुल 8 गुर्जर विधायक हैं, लेकिन पायलट के साथ सिर्फ दो हैं
- इसलिए गहलोत जातीय समीकरण बरकरार रखने के को देखते हुए एक डिप्टी सीएम पद गुर्जर को दे सकते हैं।
जयपुर ब्यूरो:राजस्थान में कांग्रेस सरकार में मची उठापठक के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार को बचाने के लिए नए गेम प्लान में जुट गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीएम गहलोत नई रणनीति के तहत सरकार में दो उपमुख्यमंत्री का फॉर्म्यूला लागू कर सकते हैं।
इसके अलावा पायलट खेमे के असंतुष्ट विधायकों को भी मंत्री बनाया जा सकता है। खबर है कि इसके लिए गहलोत अपने समर्थक मंत्रियों से इस्तीफा भी दिलवा सकते हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री प्रदेश सरकार में किसी भी तरह की टूट से बचाने के लिए सात मंत्री व 15 संसदीय सचिव भी बना सकते हैं। खास बात है कि इस पूरी कवायद में जातीय समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा।
दो डिप्टी सीएम में से एक डिप्टी सीएम गुर्जर समुदाय से होगा। चूंकि पायलट गुर्जर समुदाय से थे ऐसे में गुर्जर वोटर्स पार्टी से ना छिटके इसके लिए इस तरह का कदम उठाए जाने की संभावना है। मालूम हो कि पायलट की बर्खास्तगी के बाद अलवर, टोंक सहित कई जिलों में उनके समर्थकों ने संगठन के विभिन्न पदों से इस्तीफा दे दिया था। प्रदेश में कुछ जगहों पर उनके सड़क पर भी उतरने की भी खबरें आई थीं।
पायलट ने कहा- मैं भाजपा में शामिल नहीं हो रहा
पायलट ने बुधवार को पहली बार अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि वे भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘अभी भी मैं कांग्रेस का मेंबर हूं। कुछ लोग मेरा नाम भाजपा से जोड़ रहे हैं। मेरी इमेज खराब करने की कोशिश की जा रही है। मैंने राजस्थान में कांग्रेस की वापसी के लिए बहुत मेहनत की थी, लेकिन बाद में मेरी बात सुनी नहीं गई।
‘पार्टी के अंदर अपनी बात कहने का मंच नहीं बचा था’
- पायलट ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री गहलोत से नाराज नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैंने गहलोत से कोई खास ताकत भी नहीं मांगी थी। मैं चाहता था कि जनता से किए गए वादे पूरे किए जाएं।’ उनसे जब पूछा गया कि आखिर उन्होंने बगावत क्यों की? पार्टी के अंदर चर्चा क्यों नहीं की? जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर चर्चा का कोई मंच बचा ही नहीं था।
- राहुल गांधी ने इस मामले में दखल दिया? आपकी उनसे बात हुई? इसके जवाब में कहा कि राहुल गांधी अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं। राहुल ने जब से इस्तीफा दिया, गहलोत जी और उनके एआईसीसी के दोस्तों ने मेरे खिलाफ मोर्चा खोल दिया। तभी से मेरे लिए आत्मसम्मान बचाना मुश्किल हो गया था। ये सत्ता नहीं बल्कि आत्मसम्मान की बात थी।
गहलोत और राजेश पायलट के बीच भी रहा है छत्तीस का आंकड़ा: राजस्थान की सियासत को करीब से समझने वाले बताते हैं कि सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट और अशोक गहलोत में भी हमेशा छत्तीस का आंकड़ा ही रहा है। मरुस्थल की राजनीति में सक्रिय रहे राजेश पायलट ने हमेशा गहलोत की जगह उनके समकक्ष दूसरे नेताओं को तरजीह दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1993 में तत्कालीन संचार राज्यमंत्री राजेश पायलट जोधपुर एक डाकघर भवन के उद्घाटन के लिए पहुंचे थे।
इस कार्यक्रम में जोधपुर से ही सांसद और उन्हीं के पार्टी के नेता अशोक गहलोत को निमंत्रण तक नहीं दिया गया था। इससे नाराज गहलोत समर्थकों ने हंगामा कर दिया और पायलट से सवाल किया कि हमारे सांसद कहां हैं? इस पर पायलट ने चुटकी लेते हुए कहा था कि ‘यहीं कहीं टहल रहे होंगे बेचारे गहलोत..’। रिपोर्ट्स के मुताबिक उसी साल गहलोत को मंत्री पद से भी हटा दिया गया था और पार्टी में अलग-थलग कर दिया गया था। जबकि पायलट की तूती बोल रही थी।