प्रियंका गांधी वाड्रा, जो वायनाड से कांग्रेस सांसद हैं, ने हाल ही में अपने बैग पर “फलस्तीन” लिखवाकर चर्चा का विषय बन गई हैं। यह बैग उनके कंधे पर था जब वे संसद पहुंचीं, और इसके साथ ही फलस्तीन के प्रतीक भी बने हुए थे। प्रियंका गांधी का फलस्तीन के प्रति समर्थन पहले भी कई मौकों पर देखने को मिला है, जिसमें उन्होंने फलस्तीन के राजदूत से मुलाकात भी की थी।
इस बैग की चर्चा केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान में भी हो रही है। पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने प्रियंका की तस्वीर को साझा करते हुए उनकी तारीफ की और कहा कि यह एक साहसिक कदम है, जो किसी पाकिस्तानी सांसद ने नहीं उठाया। उन्होंने प्रियंका को जवाहर लाल नेहरू की पोती बताते हुए उनकी हिम्मत की सराहना की।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गांधी परिवार हमेशा से तुष्टिकरण का समर्थन करता आया है। भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कहा कि यही तुष्टिकरण कांग्रेस की हार का मुख्य कारण है।प्रियंका गांधी ने हाल ही में वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव जीतकर संसद में प्रवेश किया है, जहां पहले उनके भाई राहुल गांधी सांसद थे। इस जीत के साथ ही प्रियंका ने अपनी राजनीतिक पहचान को और मजबूत किया है। उनके फलस्तीन के समर्थन ने उन्हें एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। प्रियंका गांधी वाड्रा का यह कदम न केवल उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में संकोच नहीं करतीं। उनके बैग पर फलस्तीन का नाम लिखना एक प्रतीकात्मक कदम है, जो उनके समर्थन को दर्शाता है।
इस घटना ने न केवल भारतीय राजनीति में हलचल मचाई है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है। प्रियंका का यह कदम उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जो सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी आवाज उठाने में हिचकिचाते हैं।भाजपा की आलोचना के बावजूद, प्रियंका गांधी का यह कदम उनके समर्थकों के बीच एक सकारात्मक संदेश भेजता है कि वे अपने
विचारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या प्रतिक्रियाएं आती हैं और प्रियंका गांधी की राजनीतिक यात्रा पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।