एक सवाल : समय कम काम ज्यादा क्या कामयाब होगी तीरथ सरकार ?

बीजेपी सरकार उत्तराखंड में पांचवें और चुनावी साल में प्रवेश कर चुकी है, लेकिन पिछली सरकार और कोर ग्रुप में मंत्रियों के ज‍िलों में ना जाने का मसला उठा। हालांकि अब मंत्रियों का कहना है कि इस सरकार में ज़िलों के दौरे अब तेज़ी से होंगे। त्रिवेंद्र रावत सरकार में मुख्यमंत्री कहते रहे, कोर ग्रुप की मीटिंग में भी मसला उठता रहा, लेकिन कहने के बावजूद प्रभारी मंत्री ज‍िलों में नहीं गए। इसी तनातनी में पिछली सरकार विदा हो गई और त्रिवेंद्र रावत भूतपूर्व हो गए, लेकिन मंत्री वही हैं और जो नए बने हैं, उनका कहना है कि विधानसभा क्षेत्रों का दौरा शुरू हो चुका है, जल्द ज़िलों का भी होगा।

संसदीय कार्य मंत्री बंशीधर भगत का कहना है कि उन्होंने तो दौरे शुरू भी कर दिए हैं और जब वो दौरे करेगे, तो सबको ही दौरे करने पड़ेंगे। भगत की कहना है कि वो सरकार के विकास कामों को जनता तक लेकर जाएंगे। त्रिवेंद्र रावत सरकार में जो हुआ, वो हुआ, और 10 महीने बाद तीरथ रावत सरकार को चुनाव में जाना है। ऐसे में इस बार मंत्रियों का जिलों में ना जाना बीजेपी का भारी पड़ सकता है। इसलिए सरकार के प्रवक्ता साफ कह रहे हैं, कोई भी मंत्री पूरे राज्य का होता है और हर मंत्री को ज़िलों में जाना चाहिए।

सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल का कहना है कि यह जरूरी है कि प्रभारी मंत्री ज़िलों के दौरे पर जाएं। मंत्री पूरे राज्य का होता है, इसलिए जरूरी है कि सभी मंत्री ज़िलों का दौरा करें। त्रिवेंद्र रावत सरकार में 13 ज़िलों में 8 प्रभारी मंत्री थे, और अब तीरथ रावत सरकार में 11 मंत्री हो चुके हैं, जिनके पास काम के लिए बस 10 महीने का वक्त है और 10 महीने में काम और दौरे तय करेंगे कि तीरथ सरकार कामयाब होगी या नाकाम?

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