- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘हनुमान’ कहे जाने वाले चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री बनने के बाद अपनी ही पार्टी को तल्ख तेलर दिखा रहे हैं।
- एक वक्त था जब चिराग पासवान पीएम मोदी के हर फैसले से सहमत रहते थे।
- वहीं अब कुछ दिनों से चिराग लगातार एनडीए गठबंधन के खिलाफ मुखर नजर आ रहे हैं।
- चाहे बात आरक्षण में क्रीमी लेयर की हो, आरक्षण के खिलाफ भारत बंद का समर्थन हो या फिर यूपीएससी में लेटरल एंट्री का मामला हो।
- चिराग लगातार अपनी पार्टी का इन मामलों में विरोध कर रहे हैं।
नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी के ‘हनुमान’ चिराग पासवान ने एक बार फिर तीखे तेवर दिखाए हैं। पीएम मोदी की हर बात का समर्थन करने वाले चिराग पासवान पिछले कुछ दिनों से सरकार के खिलाफ मुखर नजर आ रहे हैं। केंद्र सरकार में मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक बार फिर NDA की विचारधारा से अलग राय पेश की है। चिराग पासवान ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा मुखिया अखिलेश यादव की जातिगत जनगणना वाली मांग का समर्थन किया है। इससे पहले चिराग ने यूपीएससी में लेटरल एंट्री वाले मामले पर भी मुखर विरोध जताया था।
एनडीए सरकार के प्रमुख सहयोगियों में से एक, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा, ‘मेरी पार्टी हमेशा से इस बात पर कायम रही है कि वह जातिगत जनगणना के पक्ष में है। हम चाहते हैं कि जातिगत जनगणना हो। इसकी वजह यह है कि अक्सर राज्य और केंद्र सरकारें जातिगत विचारों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाती हैं। ये योजनाएं इन समुदायों को मुख्यधारा में लाने के लिए बनाई गई हैं। ऐसे में सरकार के पास हर जाति की आबादी की जानकारी होनी चाहिए
आंकड़ों को सार्वजनिक करने का पक्षधर नहीं हूं’
चिराग पासवान ने आगे कहा, ‘मैं इन आंकड़ों को सार्वजनिक करने का पक्षधर नहीं हूं। मैं मानता हूं कि अगर आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाता है तो समाज में विभाजनकारी स्थितियां पैदा हो जाएगी। कई बार कोर्ट की तरफ से भी सरकार से जाति की आबादी को लेकर जानकारी मांगी गई है। ऐसे में मेरा मानना है कि ये आंकड़े सरकार के पास होने चाहिए। जिससे योजनाओं के कार्यान्वयन में सुधार किया जा सके। जनकल्याणकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में मदद मिल सके।’
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि लगभग 90% आबादी, आवश्यक कौशल और प्रतिभा होने के बावजूद, सिस्टम से नहीं जुड़ पाती है, यही वजह है कि जातिगत जनगणना की मांग हो रही है। राहुल गांधी ने कहा, ’90 प्रतिशत लोग इस सिस्टम का हिस्सा नहीं हैं। उनके पास आवश्यक कौशल और प्रतिभा है, लेकिन सिस्टम से नहीं जुड़ पाते हैं। इसीलिए हम जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं।’
जातिगत जनगणना पर सियासी पारा हाई
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि जातिगत जनगणना अनिवार्य है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सही समय पर इसे कराएंगे। सिंह ने यह भी सवाल किया कि राहुल गांधी राष्ट्रीय जातिगत जनगणना की मांग क्यों करते रहते हैं, जबकि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने अभी तक राज्य की जातिगत जनगणना के नतीजे जारी नहीं किए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पिछले साल स्पष्ट किया था कि बीजेपी कभी भी जातिगत जनगणना के विचार के खिलाफ नहीं थी, लेकिन इस बात पर जोर दिया था कि निर्णय बहुत सोच-समझकर लेने पड़ते हैं।
लेटरल एंट्री’ मामले में भी चिराग ने दिखाए कड़े तेवर
जब यूपीएससी में ‘लेटरल एंट्री’ को लेकर देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ था। उस वक्त केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा था, ‘मैं और मेरी पूरी पार्टी स्पष्ट राय रखती है कि सरकारी को कोई भी नियुक्तियां, उसमें आरक्षण के प्रावधानों को ध्यान में रखकर करना चाहिए। निजी क्षेत्रों में ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में कोई भी सरकारी नियुक्ति होती है, चाहे किसी भी स्तर पर हो, उसमें आरक्षण के प्रावधानों को ध्यान रखना चाहिए। इसमें नहीं रखा गया है, यह हमारे लिए चिंता का विषय है। मैं खुद सरकार का हिस्सा हूं और मैं इसे सरकार के समक्ष रखूंगा। हां… मेरी पार्टी इससे कतई सहमत नहीं है
कैसे सियासत में बड़ा चिराग का कद?
उधर केंद्रीय मंत्री और बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद चिराग पासवान को एक बार फिर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। रविवार रांची में आयोजित पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह फैसला लिया गया। चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी में कलह हो गई थी। उनके चाचा पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच कलह खुलकर सामने आई थी। पशुपति कुमार पारस पर पार्टी को तोड़ने का आरोप भी चिराग पासवान ने लगाया था। इसके बाद चिराग ने पार्टी को फिर से मजबूत किया और हाल में हुए लोकसभा चुनाव में उनके गुट को 5 सीट मिली और उन्होंने सभी सीटों पर जीत दर्ज की। दूसरी तरफ, उनके चाचा पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं दी गई थी। राजनीति के जानकार बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के सभी सीट पर जीत और अब एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना चिराग की बड़ी जीत है, इससे राजनीति में उनका कद और ऊंचा होगा।