June 6, 2023

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महाराष्ट्र में सियासी घमासान जारी:शरद पवार की बैठक में NCP के 50 विधायक पहुंचे,अजित पवार कर सकते हैं घर वापसी; सुप्रीम कोर्ट में कल सुबह 11:30 बजे सुनवाई!

  • भाजपा-अजित पवार में आधी रात को गठबंधन हुआ था, सुबह 8 बजे फडणवीस ने सीएम और अजित ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी
  • शाम को राकांपा विधायक दल की बैठक के बाद घटनाक्रम बदला, अजित पवार के पास सिर्फ 3 विधायक रह गए
  • विपक्षी दलों ने शपथ ग्रहण को चुनौती देती रिट पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में दायर कर त्वरित सुनवाई की मांग की थी
  • शरद पवार ने पार्टी विधायकों और कांग्रेस से कहा- स्थिति मेरे नियंत्रण में, राकांपा-शिवसेना और कांग्रेस की ही सरकार बनेगी

महाराष्ट्र.महाराष्ट्र में शनिवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ। राज्य में 12 नवंबर को लगा राष्ट्रपति शासन शनिवार सुबह 5:47 बजे हटगया। इसके बादसुबह 8 बजे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद और शरद पवार के भतीजे अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। शुक्रवार आधी रात को भाजपा और अजीत पवार धड़े के बीच गठबंधन हुआ था। दोनों के शपथ ग्रहण के बाद दिनभर भाजपा और अजीत पवार का पलड़ा भारी दिखा, लेकिन बाद में हालात बदल गए। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शाम को पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई। इसमें पार्टी के 54 में से 50 विधायक पहुंच गए। इनमें धनंजय मुंडे समेत 7 विधायक ऐसे थे जो सुबह राजभवन में अजित पवार के साथ थे। इससे अजित पवार का पलड़ा कमजोर होता दिखा। वे उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। उधर, शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा की संयुक्त याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में रविवारसुबह 11:30 बजे सुनवाई होगी। विपक्षी दलों ने विधायकों की खरीदफरोख्त रोकने के लिए 24 घंटे में फ्लोर टेस्टकी मांग की।


अपडेट्स

  • राकांपा ने शरद पवार की अध्यक्षता में वाईवी चव्हाण सेंटर में बैठक बुलाई। इसमें अजित पवार समेत सिर्फ 4 विधायक नहीं पहुंचे। राकांपा ने अजित को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया। राकांपा ने उनकी जगह जयंत पाटिल को अस्थाई तौर पर विधायक दल का नेता बनाया गया। पार्टी अपने सभी विधायकों को मुंबई के एक होटल में रखा है।
  • इससे पहले राकांपा सांसद सुनील तटकरे और दो अन्य विधायक उपमुख्यमंत्री अजित पवार को मनाने के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। अजित अपने भाई श्रीनिवास के आवास पर थे। यहां सुरक्षा कड़ी है।
  • शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शाम को पार्टी के विधायकों के साथ होटल ललित में बैठक की। ठाकरे ने कहा कि सरकार हमारी ही बनेगी, मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। उन्होंने अपने विधायकों से शांति बनाए रखने की अपील की।
  • कांग्रेस-शिवसेना-राकांपा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन की पैरवी अभिषेक मनु सिंघवी करेंगे। वे गुजरात में थे, जहां से दिल्ली के लिए रवाना हुए। सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा- तीनों दलों ने शपथ ग्रहण के खिलाफ याचिका लगाई है। चीफ जस्टिस इस पर सुनवाई का निर्णय लेंगे। हमने उनसे इस नाजायज सरकार को भंग करने की मांग की है।
  • पिटीशन में तीनों दलों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि याचिका पर तुरंत सुनवाई हो और 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश जारी किए जाएं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने त्वरित सुनवाई की मांग को मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं के पास सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के सामने अर्जी लगाने का भी विकल्प रहता है। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े अभी दिल्ली में नहीं हैं। त्वरित सुनवाई की मांग पर वे फैसला कर सकते हैं।
  • भास्कर को मिली जानकारी के मुताबिक, शरद पवार ने राकांपा विधायकों और कांग्रेस नेता अहमद पटेल से कह दिया कि हालात पूरी तरह उनके नियंत्रण में हैं। उन्होंने अपने जीवन में पहले भी ऐसे क्षण देखे हैं और वे इस स्थिति से भी निपट लेंगे। जल्द ही कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा की सरकार बनेगी।

अजित समर्थक2 विधायकों को एयरपोर्ट से खींचकर लाए शिंदे

राकांपा के 9 विधायकों के रिलायंस के चार्टर्ड प्लेन से गुजरात जाने की खबर आई थी। हालांकि, इनमें से ज्यादातर विधायक शरद पवार की बैठक में शामिल हुए। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे अजित समर्थकदो विधायकों (संजय बनसोड और बाबासाहेब पाटिल) को एयरपोर्ट से खींचकर राकांपा की बैठक में ले गए। कांग्रेस भी विधायकों को अपनी सरकार वाले किसी राज्य में शिफ्ट कर सकती है।कांग्रेस के सभी विधायक जयपुर भेजे जा सकते हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पार्टी के विधायकों को स्वागत है। उनकी सुरक्षा करना हमारा फर्ज है।

पवार ने कहा- हमें नहीं पता था कि अजित ऐसा कदम उठाएंगे
इससे पहले शिवसेना और राकांपा ने दोपहर में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। शरद पवार ने कहा कि हमारे किसी विधायक ने भाजपा को समर्थन नहीं दिया है। राजभवन गए राकांपा विधायकों को भी पता नहीं था कि अजित पवार ऐसा कदम उठाएंगे और उपमुख्यमंत्री बन जाएंगे।अजित पवार के भाजपा के साथ जाने पर शरद पवार ने कहा कि यह उनका निजी फैसला है, राकांपा का इससे कोई लेना-देना नहीं। पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने ट्वीट किया- पार्टी और परिवार दोनों टूटे।

‘राकांपा का कोई भी नेता राकांपा-भाजपा सरकार के समर्थन में नहीं’

  • शरद पवार ने कहा, ‘‘कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा सरकार बनाने के लिए साथ आईं। हमारे पास जरूरी नंबर थे। कुछ निर्दलियों के समर्थन से हमारा आंकड़ा 170 तक पहुंच गया था। अजित का फैसला पार्टी लाइन से अलग है। यह अनुशासनहीनता है। राकांपा का कोई भी नेता राकांपा-भाजपा सरकार के समर्थन में नहीं है। राकांपा के जो भी विधायक भाजपा को समर्थन दे रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि वे दल-बदल कानून के प्रावधान में आ रहे हैं। इससे उनका विधायक पद खतरे में आ सकता है।’’
  • ‘‘कुछ विधायकों ने हमें बताया कि सुबह 6.30 बजे उन्हें राजभवन ले जाया गया। कुछ ही देर में वहां भाजपा के समर्थन से अजित ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। उनका फैसला हमारी नीतियों के खिलाफ है। हमारे पास सभी दलों (राकांपा, कांग्रेस, शिवसेना) के विधायकों के दस्तखत वाले पत्र थे। राकांपा का पत्र अजित के पास था। शायद उन्होंने वही पत्र राज्यपाल को दिखाया। अजित के साथ राजभवन गए विधायक अब मेरे साथ हैं। भाजपा और अजित पवार विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। हम दोबारा सरकार बनाने की कोशिश करेंगे, जिसका नेतृत्व शिवसेना ही करेगी।’’
  • शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘देश में लोकतंत्र का मजाक बन गया है। ऐसे ही चलता रहा तो आगे देश में कोई चुनाव कराया ही नहीं जाना चाहिए।’’ राकांपा विधायक राजेंद्र शिंगने ने कहा, “अजित पवार ने मुझे कुछ चर्चा के लिए बुलाया था। यहीं से मुझे कुछ अन्य विधायकों के साथ राजभवन ले जाया गया। जब तक हम कुछ समझ पाते, शपथ ग्रहण पूरा हो चुका था।’’ 

लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन नहीं हुआ, यह बेशर्मी की इंतेहा: कांग्रेस

  • कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में अहमद पटेल ने कहा- ”आज सुबह बिना बैंड बाजे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। ये महाराष्ट्र के इतिहास का काला दिन है। राज्यपाल ने कांग्रेस को मौका नहीं दिया। प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। मुझे कुछ गलत होने की बू आ रही है। लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना हुई। संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं। ये बेशर्मी की इंतेहा है। हम इसकी निंदा करते हैं।”
  • ”हमने कल राकांपा-शिवसेना के साथ बैठक की थी। आज की बैठक से पहले सुबह जो कांड हुआ, उसकी आलोचना करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। हमारी तरफ से कोई देरी नहीं हुई है। अभी भी हमारी तरह से पूरे प्रयास होंगे, भाजपा को शिकस्त देंगे और दूसरी सरकार बनेगी। कांग्रेस के सभी विधायक एकजुट हैं। उनके टूटने की कोई संभावना नहीं है। राकांपा ने कुछ लोगों की लिस्ट दी थी, इसलिए यह घटना घटी है। भाजपा को हराने के लिए तीनों दल साथ आए थे।’

‘बैकडोर से कब्जा करने की कोशिश नाकाम: भाजपा

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘जब शिवसेना स्वार्थभाव से प्रेरित होकर अपनी 30 साल की दोस्ती तोड़ दे और घोर विरोधी विचारधारा वाली कांग्रेस और शिवसेना का दामन थाम ले तो वह लोकतंत्र की हत्या नहीं है। अगर अजित पवार के साथ बड़ा तबका आकर भाजपा को समर्थन देता है तो यह लोकतंत्र की हत्या कैसे हुई। यह देश की वित्तीय राजधानी पर बैक डोर से कब्जा करने की कोशिश थी। यह षड्यंत्र था।’’

अपने-अपने दावे

राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा कि हमने उपस्थिति के लिए 40 विधायकों के दस्तखत कराए थे। शपथ के दौरान उन हस्ताक्षरों का गलत इस्तेमाल किया गया। भाजपा ने धोखे से सरकार बनाई है, जो विधानसभा के फ्लोर पर ही गिरेगी। उधर,भाजपा नेता गिरीश महाजन ने 170 विधायकों के समर्थन से बहुमत साबित करने का दावा किया।

गठबंधन बने और टूटे, शपथ के लिए राज्यपाल ने दौरा रद्द किया

  • महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे। ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की बात पर भाजपा-शिवसेना गठबंधन में दरार पड़ गई। इसके बाद कई दौर की बातचीत के बाद शिवसेना-राकांपा और कांग्रेस में सरकार बनाने को लेकर सहमति बनती दिखी। शुक्रवार रात शरद पवार ने साफ कर दिया था कि उद्धव के नेतृत्व पर सहमति बन गई है। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि बातचीत में कई मुद्दे सुलझा लिए हैं, लेकिन कुछ मसलों पर बातचीत चल रही है। 
  • शुक्रवार रात राकांपा की बैठक में अजित पवार मौजूद नहीं थे। उसी दौरान भाजपा के साथ उनकी बातचीत आगे बढ़ी। दरअसल, शिवसेना 5 साल का मुख्यमंत्री चाहती थी। अजित की मुख्य आपत्ति यह थी कि शिवसेना को पूरे 5 साल का मुख्यमंत्री क्यों दिया जाए, जबकि हमारे (राकांपा के) पास भी बराबरी की सीटें हैं। राज्यपाल कोश्यारी दो दिन (शनिवार-रविवार) दिल्ली दौरा था। ऐन मौके पर उन्होंने कार्यक्रम रद्द किया और शनिवार सुबह शपथ ग्रहण करा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को बधाई दी।

‘शिवसेना की वजह से ऐसा हुआ’

फडणवीस ने कहा, ‘‘हमारे नेता मोदीजी और अमितजी का बहुत आभार। उन्होंने फिर मुझे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा का मौका दिया। महाराष्ट्र की जनता ने एक स्पष्ट जनादेश दिया था। शिवसेना ने हमारे साथ गठबंधन करने के बजाय दूसरी जगह गठबंधन करने का फैसला किया। शिवसेना की वजह से ऐसी नौबत आई। महाराष्ट्र जैसे अगड़े राज्य को यह शोभा नहीं देता कि यहां ज्यादा दिन राष्ट्रपति शासन लगा रहे। यहां ऐसी कोई सरकार बननी भी नहीं चाहिए जो ज्यादा दिन चल न सके। मैं अजित पवार का शुक्रिया करना चाहूंगा कि वे हमारे साथ आए। इसलिए हमने राज्यपाल जी को दावा पेश किया। राज्यपाल जी ने राष्ट्रपति जी से चर्चा की कि शासन हटाने की अनुशंसा की जाए। इसलिए राज्यपाल जी ने हमें शपथ के लिए बुलाया।’’ अजित पवार ने कहा किहम किसानों की समस्या हल करने के लिए साथ आए हैं।

कैबिनेट की मंजूरी से ही राष्ट्रपति शासन हटाया जाता है
संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी ने दैनिक भास्कर को बताया कि जब भी गवर्नर राष्ट्रपति शासन को हटाने की अनुशंसा करता है तो इसके लिए कैबिनेट के बहुमत की मंजूरी अनिवार्य है। सभी कैबिनेट सदस्य अपनी सहमति के हस्ताक्षर करते हैं। यह मंजूरी प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाता है और उसके बाद राष्ट्रपति की राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को वापस लेता है। महाराष्ट्र मामले में रात को जब राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी गई तो इस सिफारिश को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सदस्यों के समक्ष रात में ही रखा गया, जिस पर सभी कैबिनेट सदस्यों ने रात में ही हस्ताक्षर किए। यह कैबिनेट की मंजूरी के प्रस्ताव सुबह जब राष्ट्रपति को मिला तो उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने के अपने निर्णय को वापस ले लिया।

शिवसेना को झांसा देकर राकांपा ने मौके तलाशने जारी रखे
चुनाव के पहले राकांपा से भाजपा में आए एक बड़े नेता ने भी दोनों पार्टियों की बातचीत में मदद की जानकारी दी थी। यही वजह है कि नतीजों के बाद शिवसेना को मुख्यमंत्री पद का झांसा देते हुए राकांपा ने बैठकों का सिलसिला जारी रखा। इस तरह शिवसेना को भी कुछ और सोचने का मौका नहीं मिल पाया। नए सरकार के गठबंधन के चलते राज्य में शिवसेना की हालत बेहद पतली हो गई है। कहा जा रहा है कि कई शिवसेना विधायक भाजपा के साथ जा सकते हैं।

महाराष्ट्र में कुल सीटें: 288/बहुमत: 145

दलसीटें
भाजपा105
राकांपा54
कुल159

महाराष्ट्र में अन्य दलों की स्थिति

पार्टीसीट
शिवसेना56
कांग्रेस44
बहुजन विकास अघाड़ी3
एआईएमआईएम2
निर्दलीय और अन्य दल24
कुल 129
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