वतन से मोहब्बत

हर ज़बान पे है वतन का गीत।
हर दिल में मोहब्बत का संगीत।
जय जय का ललकारा लगा है।
जशने आज़ादी की यही है रीत।

तेरा मस्कन तो आर्जी है।
जन्नत का घर दायमी है ।
फरेब दुनिया में क्यों कर फंसा।
भूल जाता है अपना अतीत।

आदम को खुल्द से उतारा गया।
अर्ज़ का खलीफा बनाया गया।
माफ हुई खता सदका मुस्तफा में।
होब्बे मुस्तफा में हो जा गरीक।

ताजा खुदाओ में बड़ा सबसे वतन हे l
पीरहान इसका मज़हब का कफन है।
एक पल भी इसका जयकारा कहा।
ला शरीका में किया इसको शरीक।

करता है तो अंजाम से डर।
अजीजो जुनतकाम से डर।
दर हकीकत सब तो फानी है।
जानता है सब कुछ हसीब।

सब छोड़ कुछ काम न आयेगा।
दिल के दरीचो से उसको पुकार।
पुकार ला शरीका लब्बैक।
यह है दुनिया आखरत की जीत।

एक छोटी सी कोशिश।
खुर्शीद अहमद।

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