कैराना: गंभीर बीमारियों का अड्डा बनी मीट फैक्ट्री, प्रशासन खामोश क्यों?

कैराना के कांधला रोड पर घनी आबादी के बीच मीम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (मीट प्लांट) का संचालन चल रहा है। मीट प्लांट से निकलने वाली भीषण दुर्गंध और प्रदूषण से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। बदबू इस कदर है कि प्लांट के आसपास रहने वाले लोग ठीक से सांस भी नहीं ले पाते हैं। प्लांट में रोजाना होने वाले सैंकड़ों पशुओं के कटान के अवशेष भी कई बार इधर-उधर फैले नजर आ चुके हैं, जबकि यहां पर अवैध रूप से मृत पशुओं के कटान के मामलात भी देखने को मिल चुके हैं। इन सबके बावजूद भी प्रदूषण का वाहक बना यह मीट प्लांट धड़ल्ले से चल रहा है।

  • फाइलों में दब गई जनता की आवाज

मीट प्लांट को बंद कराने या आबादी से बाहर शिफ्ट करने की मांग पूर्व की समाजवादी पार्टी के शासनकाल से ही चल रही है। पूर्व में भी व्यापार मंडल के पदाधिकारियों वअधिवक्ताओं ने प्लांट के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एसडीएम कैराना को ज्ञापन सौंपा था। लेकिन, इसे प्लांट संचालकों की धाक कहें, या फिर पैसों का रूतबा, फिलहाल योगीराज में भी इस मीट प्लांट का कोई बाल भी बांका करने नजर नही आ रहा है। मीट प्लांट से उठने वाली भयंकर बदबू और बीमारियों में इजाफा होने की वजह से फिलहाल आस-पास की आबादी बुरी तरह से त्रस्त है।

चुनाव सिर पर आते ही नेताओं की जुबां पर कैराना का नाम आता है। देश के राजनीतिक दलों ने अपने मंच से कैराना का नाम तब लिया जब भाजपा सांसद स्वर्गीय बाबू हुकुम सिंह जी ने लगभग 350 परिवारों के पलायन की सूची केंद्र सरकार को भेजी। जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने कैराना पलायन का मुद्दा उठाकर राज्य में बीजेपी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन बीजेपी के राज में भी कैराना की जनता ने चैन की सांस नहीं ली। यूपी विधानसभा के 2022 के चुनाव प्रचार में देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना में घर-घर जाकर कैराना के पलायन के मुद्दे को धार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह कहना गलत नहीं होगा कि स्थानीय नेता से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेता कैराना के लोगों की परवाह नहीं करते, क्योंकि घनी आबादी के बीच चल रही मीट फैक्ट्री से परेशान लोगों के पास आज तक कोई नहीं गया। इस मीट फैक्ट्री के कारण लोग काला पीलिया से पीड़ित हो गए हैं। कुछ लोगों ने तो पूर्व में अपने घरों के बाहर यह भी लिखवा दिया था कि यह मकान बिकाऊ है, जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने मीट फैक्ट्री से फैलने वाली बीमारी के कारण पलायन करने की ठानी थी। उस समय राज्य में समाजवादी पार्टी का शासन चल रहा था। लेकिन हकीकत तक कोई नहीं पहुंची

कैराना कस्बे और आसपास के गांवों में मीट फैक्ट्री के कारण हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। इसी के चलते अब कैराना के लोगों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मीडिया के जरिए अनुरोध करते हुए कहा है कि मीम एग्रो फैक्ट्री से सभी परेशान हैं। फैक्ट्री से निकलने वाली बदबू ने सभी का जीना दूभर कर दिया है। शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई

  • आखिर कब होगी कार्रवाई ?

तमाम शिकायतों के बाद भी अधिकारी मीट प्लांट पर प्रभावी कार्रवाई के बजाय खानापूर्ति करते रहे हैं। इससे आज समस्या और बढ़ गई है। ऐसे में सवाल तो यह है कि क्या इस ओर उच्चाधिकारी द्वारा संज्ञान लेकर मीट प्लांट के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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