वक्फ संशोधन विधेयक पर संसदीय समिति के सदस्यों ने मसौदा विधेयक में 572 संशोधनों का सुझाव दिया है। यह विधेयक वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करने के लिए पेश किया गया है, ताकि वक्फ संपत्ति के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं एवं चुनौतियों का समाधान किया जा सके। इस विधेयक पर संसदीय समिति की बैठक में विपक्षी सदस्यों ने संशोधन पेश किए, लेकिन समिति ने सत्तारूढ़ भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए सदस्यों के प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया और विपक्षी सदस्यों के सुझावों को दरकिनार कर दिया।
वही, समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि समिति द्वारा अपनाए गए संशोधन कानून को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाएंगे। लेकिन विपक्षी सांसदों ने बैठक की कार्यवाही की निंदा की और जगदंबिका पाल पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। इससे पहले वक्फ संशोधन विधेयक पर संसदीय समिति की बैठक में हंगामा हुआ था, जिसमें 10 विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया था।
बता दे की वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में शुक्रवार को दो महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल गवाह के तौर पर आए थे। इनमें से एक प्रतिनिधिमंडल मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर से आया था, जबकि दूसरा प्रतिनिधिमंडल लॉयर्स फॉर जस्टिस का था, जिसमें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकील शामिल थे।
समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि इन प्रतिनिधिमंडलों ने अच्छा प्रेजेंटेशन दिया और विस्तृत शोध कार्य किया है, जो हमारी रिपोर्ट के लिए भी उपयोगी होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही यह हमारे अधिकार क्षेत्र में न हो, लेकिन हमारे सदस्यों ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से कहा है कि इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। हालांकि, जगदंबिका पाल ने कहा कि उन्हें दुख है कि आज की बैठक इतनी महत्वपूर्ण थी, लेकिन जिस तरह से कल्याण बनर्जी ने बैठक में बेवजह हंगामा किया, वेल में घुसकर बहस करने की कोशिश की और गाली-गलौज भी की, मुझे लगता है कि उन्होंने आज सारी हदें पार कर दीं और सारी मर्यादाएं तोड़ दीं।
रिपोर्ट:- कनक चौहान