मुस्लिम संगठनों और विपक्ष के भारी विरोध के बीच बुधवार को मोदी सरकार ने संसद में वक्फ संशोधन बिल पेश कर दिया है। अब इस बिल पर चर्चा हो रही है, जिसके बाद इसका अंतिम रूप सामने आएगा। इसी बीच, जमीयत उलेमा ए हिंद ने सरकार के इस बिल को बहुसंख्यकवादी मानसिकता और अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक करार दिया है।
संसद में सरकार द्वारा बिल पेश किए जाने पर देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह बिल पेश कर सरकार तो पूरी तरह बेनकाब हो ही चुकी है, साथ ही खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली पार्टियों के लिए भी परीक्षा की घड़ी आ गई है। उन्हें तय करना होगा कि वे देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता के साथ खड़े हैं या उन लोगों के साथ जो इसे खत्म करने पर तुले हुए हैं।
मदनी ने कहा कि जमीयत पहले ही घोषणा कर चुकी है कि अगर इस विधेयक को रोकने के लोकतांत्रिक प्रयास विफल हो गए तो वे इसके खिलाफ कानूनी संघर्ष शुरू करेंगे।